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Women Laws In India: हर महिला के पास हैं ये कानूनी अधिकार, क्या आप जानती हैं?

Women Laws In India: आज के समय में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। कार्यस्थल हो या घर महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं अपना योगदान नहीं दे रही हैं। महिलाएं समाज की आधी आबादी हैं और समाज के […]

Legal Rights For Women
Women Laws In India: आज के समय में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। कार्यस्थल हो या घर महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं अपना योगदान नहीं दे रही हैं। महिलाएं समाज की आधी आबादी हैं और समाज के निर्माण में सशक्त भूमिका निभाती हैं लेकिन ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से उन्हें पुरुषों की तुलना में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर भारत की बात करें तो यहां हर मिनट एक महिला किसी न किसी अपराध का शिकार होती है। फिर चाहे वह घर हो, ऑफिस हो या सार्वजनिक स्थान, उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल बना रहता है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों को जानें, ताकि उन्हें किसी भी तरह का उत्पीड़न सहन न करना पड़े और उसके खिलाफ आवाज उठा सकें। आज हम आपको कुछ ऐसे कानूनी अधिकारों के बारे में बताएंगे जो महिलाओं को तो दिए गए हैं लेकिन उन्हें खुद इसके बारे में जानकारी नहीं है।

इस समय महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार

भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार, अगर किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद यानी शाम 6 बजे या सूर्योदय यानी सुबह 6 बजे के पहले गिरफ्तार किया जाता है, तो यह कानून के खिलाफ है। धारा 160 के मुताबिक, अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्य की मौजूदगी जरूरी है।

मैटरनिटी लाभ

कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ सिर्फ एक सुविधा नहीं है, बल्कि यह उनका अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत हर कामकाजी महिला को 6 महीने का मातृत्व अवकाश मिलता है और इस दौरान वेतन में कोई कटौती नहीं होती है और वह फिर से काम करना शुरू कर सकती है। ये भी पढ़ें- बुलिंग क्या है? कहीं आप भी तो नहीं हो रहे हैं इसके शिकार, ऐसे करें सामना

समान वेतन का अधिकार

समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, पुरुषों और महिलाओं दोनों को एक ही प्रकार के काम के लिए समान पारिश्रमिक मिलना चाहिए यानी यह पुरुष और महिला श्रमिकों को समान वेतन के भुगतान का प्रावधान करता है।

पॉक्सो एक्ट

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO )। यह कानून 2012 में लाया गया था। इसके तहत बच्चों का यौन शोषण अपराध है। यह कानून 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961

अगर लड़के का परिवार या लड़का खुद शादी के समय या उसके बाद दहेज की मांग करता है तो लड़की के परिवार को दहेज देने की जरूरत नहीं है। आप इसके खिलाफ दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इससे लड़के के परिवार वालों को जेल भी जाना पड़ता है और भारी जुर्माना भी भरना पड़ता है।


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