Karwa Chauth Importance: कौन थीं वीरावती? जिसके लिए बना स्पेशल ‘करवा चौथ’ का चांद
Karwa Chauth Importance: आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी है, जिसे आम भाषा में लोग करवा चौथ के नाम जानते हैं। पूरे देश में विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जल उपवास रखा है। करवा चौथ की तैरियां महिलाएं काफी उत्साह के साथ करती हैं। करवा चौथ व्रत की पूजा की शुरुआत से पहले वीरवती की कथा सुनी जाती है। क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ की व्रत कथा में लोकप्रिय वीरवती कौन थी? आइए आपको बताते हैं कौन थी वीरावती
कौन थीं वीरावती?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वीरवती वेदधर्मा ब्राह्मण की एक बेटी थी, जो कि बहुत ज्यादा सुंदर और सुशील थी। वीरवती के 7 भाई थे। वीरवती अपने भाईयों के बीच काफी चहेती थी। भाईयों ने बहन वीरवती की शादी एक सज्जन पुरुष से की थी। कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन उसने करवा चौथ का व्रत रखा था, इस दौरान उनकी हालत बेहत खराब हो गई थी।
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भाईयों ने बनाया स्पेशल 'करवा चौथ' का चांद
करवा चौथ में सुनाई जानेवाली वीरवती की कथा में भी इसका जिक्र हैं। वीरवती की कथा के अनुसार, करवा चौथ के दिन जब बहन वीरवती को भूखा देख उनके भाई विचलित हो गए थे और वीरवती बिना छलनी के चंद्रमा नहीं देख रही थी। इसके बाद बहन वीरवती को भूखा देख उनके भाइयों ने चांद निकलने से पहले एक पेड़ की आड़ में छलनी में दीप रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया।
छलनी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ वाले दिन महिलाओं को चंद्रमा के सीधे- सीधे नहीं देखना चाहिए। चौथ के चंद्रमा को सीधे देखना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। अगर किसी को चंद्रमा के दर्शन करने हैं तो उसे किसी न किसी की आड़ में दर्शन करना चाहिए। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि छलनी से पति की उम्र बढ़ जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह से छलनी में सैकड़ों छेद है उसी तरह से पति की उम्र भी सैकड़ों साल बढ़ जाती है। इसलिए करवा चौथ पर महिलाएं चंद्रमा और पति को छलनी से देखा जाता है।
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