TrendingT20 World Cup 2026Bangladesh ViolencePollution

---विज्ञापन---

Same Sex Marriage को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और रिव्यू पिटीशन दायर, जानें क्या मांग की गई?

Same Sex Marriage Review Petition: 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ गत अब एक और पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जानें इसमें क्या कहा गया?

Same Sex Marriage Supreme Court

प्रभाकर मिश्रा, दिल्ली

Same Sex Marriage Verdict Regarding Review Petition: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में 17 अक्टूबर को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ गत एक नवंबर को पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी। इस पर अब एक और पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। याचिककर्ता अमेरिका में एक कानूनी फर्म में काम करने वाले वकील उदित सूद है, जिनकी तरफ से याचिका को वकील मुकुल रोहतगी ने मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के सामने रखा। इस याचिका में मांग की गई है कि 28 नवंबर को पहले दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में की जाए। वहीं इसके जवाब में मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देखेंगे। अनुरोध की जांच करेंगे और फैसला लेंगे।

---विज्ञापन---

 

---विज्ञापन---

सुप्रीम कोर्ट का कानूनी मान्यता देने से इनकार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकुल रोहतगी ने कहा कि पीठ के सभी न्यायाधीश इस बात से सहमत हैं कि भेदभाव हो रहा है, जिसका समाधान निकलना चाहिए। पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई 28 नवंबर को होनी है, जिसकी सुनवाई खुली अदालत में करने की मांग की गई है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ , न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। यह फैसला 2018 के ऐतिहासिक फैसले के 5 साल बाद आया। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक यौन संबंधों पर प्रतिबंध को हटा दिया था। 17 अक्टूबर के फैसले में सुप्रीम कोर्टने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था।

पुनर्विचार याचिका में दी गई हैं यह सभी दलीलें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वे स्पेशल मैरिज एक्ट को खत्म नहीं कर सकते। सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने का काम संसद का है। अदालत कानून नहीं बना सकती। केंद्र और राज्य सरकारें तय करें कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देनी है या नहीं। वहीं इस फैसले के खिलाफ एक नवंबर को दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्व-विरोधाभासी और स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में समलैंगिक समुदायों के साथ होने वाले भेदभाव को स्वीकार किया गया है, लेकिन उस भेदभाव का खात्मा करने के लिए कुछ नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इस बात को भी नजरअंदाज किया गया कि विवाह एक सामाजिक नियम है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ और समलैंगिकों के हक के लिए लड़ाई जारी रहेगी।

लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel


Topics:

---विज्ञापन---