शिक्षा जगत से जुड़े दो अहम पद होते हैं प्रधानाचार्य (Principal) और प्रधानाध्यापक (Headmaster). आमतौर पर लोग दोनों पदों को एक ही समझ बैठते हैं. लेकिन दोनों पदों में अहम अंतर है, जिसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. ये अंतर जानकर आपको अपनी गलत जानकारी का एहसास हो सकता है.
क्या है मुख्य फर्क?
दोनों पदों में मुख्य अंतर उस संस्थान के स्तर और आकार से जुड़ा होता है, जहां इनकी नियुक्ति होती. प्रधानाचार्य आमतौर पर सीनियर सेकेंडरी (यानी 12वीं कक्षा तक) स्कूल या बहुत बड़े स्कूलों में नियुक्त किया जाता है. इन स्कूलों में छात्रों की संख्या ज्यादा होती है. इसके अलावा यहां प्रशासनिक तथा शैक्षणिक कार्य भी बड़े स्तर पर होते हैं. वहीं, प्रधानाध्यापक प्राइमरी, अपर प्राइमरी या हाई स्कूल में होते हैं. इन स्कूलों में छात्रों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है.
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किसकी क्या जिम्मेदारी?
बेशक दोनों पद अलग-अलग जरूर हैं. लेकिन दोनों की जिम्मेदारियां कुछ हद तक एक जैसी होती हैं. इनका काम स्कूल का पूरा एडमिनिस्ट्रेशन संभालना, बजट मैनेजमेंट या एग्जाम की निगरानी करना होता है. इसके अलावा प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापक दोनों टीचर्स की एक्टिविटीज पर नजर रखते हैं. दोनों ही सुनिश्चित करते हैं कि क्लास रेगुलर हो, छात्रों का सिलेबस समय पर पूरा हो और स्कूल में अनुशासन बनाए रखना भी जरूरी है. दोनों ही स्कूल में शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता भी सुनिश्चित करते हैं.
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क्या सैलरी भी होती है अलग-अलग?
प्रधानाचार्य की सैलरी आमतौर पर प्रधानाध्यापक से ज्यादा होती है. क्योंकि प्रधानाचार्य के पास अपेक्षाकृत ज्यादा जिम्मेदारियां होती हैं. प्रधानाचार्यों को अतिरिक्त सुविधाएं भी ज्यादा मिलती हैं.