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Explainer : चुनावी राज्यों में नए जिले बनाने की क्यों मची है होड़? क्या इससे बढ़ जाता है विकास

New districts politics : मध्य प्रदेश और राजस्थान में अलगे दो महीने में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं। दोनों ही राज्यों में चुनावी माहौल में जनता और राजनेताओं को साधने के लिए सरकारें नए जिले बना रही हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नए जिले बनने के बाद अब मध्य […]

नए जिले बनाने से क्या होगा फायदा और नुकसान।
New districts politics : मध्य प्रदेश और राजस्थान में अलगे दो महीने में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने वाले हैं। दोनों ही राज्यों में चुनावी माहौल में जनता और राजनेताओं को साधने के लिए सरकारें नए जिले बना रही हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में नए जिले बनने के बाद अब मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं, और राजस्थान (Rajasthan) में 50 जिले हो गये हैं। अशोक गहलोत और शिवराज सिंह चौहान अपने-अपने राज्य में नए जिले बना रहे हैं, इसका कितना लाभ उनको मिलता है यह चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा। लेकिन नए जिले बनाने से आम जनता से लेकर राजनेताओं और राज्य को क्या लाभ होता है और किस तरह का नुकसान होता है आज हम आपके इसके बारे में समझाएंगे। भारत में आजादी के बाद से अलग राज्‍य बनाने की मांग होती रही है। कई सरकारों ने नए राज्‍य भी बनाए हैं। लेकिन पिछले 3 महीनों में चुनावी राज्यों खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में नए जिले बनाने की मांग तेज हो गई है। राजनीतिक दलों के साथ सामाजिक संगठन और आम लोग नए जिलों की मांग में कर रहे हैं। मध्‍य प्रदेश और राजस्थान दोनों जगहों पर आम लोग भी नये जिले की मांग कर रहे हैं। राजस्थान में भी कमोबेश यही हाल है। आइए जानते हैं क्यों नए जिले बनाए जा रहे हैं।

नए जिले बनाने से सरकारें बचती क्यों हैं

किसी भी राज्य में नया जिला बनाने से सरकारें बचती हैं, क्योंकि सरकार नया जिला बनाने के लिए जनसंख्या घनत्व को आधार मानती हैं। नए लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र भी इसी आधार पर बनाए जाते हैं। राज्‍य सरकार को नया जिला बनाने पर बड़ा खर्चा उठाना पड़ता है। इससे विपक्षी दलों को फायदा मिलता है। लेकिन अबकी बार सरकारें खुद नये जिले को बनाकर विकास का वादा करती हैं और चुनाव में इसका लाभ लेना चाहती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुछ ऐसा ही दिख रहा है। यह भी पढ़ें: इन योजनाओं के जरिए 50 करोड़ लोगों तक पहुंचेगी मोदी सरकार, आधी आबादी को लुभाने की तैयारी में भाजपा

क्या नए और छेटे जिलों का विकास तेजी से होता है

प्रशासन और तंत्र को समझने वाले लोगों का कहना है कि छोटे जिले बनने पर विकास की राह बड़े जिले के मुकाबले आसान हो जाती है। क्योंकि छोटे जिलों में गुड गवर्नेंस और फास्‍ट सर्विस डिलिवरी से लोगों के जीवनस्‍तर में सुधार होता है। शहरों के साथ ही गांवों और कस्‍बों की दूरी जिला मुख्‍यालय से कम हो जाती है। इससे जनता और प्रशासन के बीच संवाद बढ़ता है। वहीं, सरकारी मशीनरी के काम करने की रफ्तार बढ़ जाती है। विकास की रफ्तार तेज होने के साथ ही छोटे जिलों में कानून-व्‍यवस्‍था नियंत्रण रखती है। शहरों, कस्‍बों और गांवों के बीच कनेक्टिवटी बढ़ने से सरकाररी योजनाएं आम लोगों तक जल्‍दी व आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं।

नए जिले को आर्थिक मदद मिलती है

सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नए जिलों का विकास करने के लिए उनको विशेष आर्थिक पैकेज देने की जरूरत होती है। नए जिले बनाने पर नए कॉलेज और अस्पताल खुलवाने का काम के साथ ही अन्य संसाधनों का विकास किया जाता है। अगर आम लोगों को नए जिले बनने से होने वाले फायदों की बात करें तो इससे उनकी सभी मुख्‍यालयों तक पहुंच आसान हो जाती है। वहीं, सड़क, बिजली, पानी जैसी जरूरी सुविधाओं में जिले के छोटे होने के कारण सुधार देखने के लिए मिलता है।

नए जिल बनने से सरकार को क्या नुकसान होता है

नए जिले बनाने पर एक तरह से सरकार को नुकसान होता है। गांव से लेकर राजधानी दिल्ली तक के सभी दस्तावेजों को अपडेट करना होता है। सीमांकन करना होता है। इसके साथ ही प्रसाशनिक अधिकारी और कार्यालयों की व्यवस्था करना होता है। इसके अलावा जैसे सरकारी भवनों में नया जिला का नाम के साथ तहसील आदि लिखने में पेंट आदि में खर्च आता है। यह भी पढ़ें: सिक्किम में सेना के लापता जवानों की खोज जारी, आर्मी-एयरफोर्स ने शुरू किया मेगा रेस्क्यू ऑपरेशन


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