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हर सांसद-विधायक को चोर बताकर फंसे जीतनराम मांझी, AAP नेता सोमनाथ भारती ने भेजा कानूनी नोटिस

सांसदों और विधायकों को “कमीशनखोर” बताने वाले बयान पर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी को कानूनी नोटिस भेजा गया है. आप नेता सोमनाथ भारती ने इसे लोकतंत्र और जनप्रतिनिधियों की साख पर हमला बताते हुए सार्वजनिक माफी की मांग की है.

हर सांसद और हर विधायक को एक ही लाइन में खड़ा करके “कमीशनखोर” बताना शायद मंच से बोलने में आसान हो, लेकिन जब वही बात कानून के कटघरे में पहुंचती है, तो उसकी सच्चाई अपने-आप खुलने लगती है. केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के ऐसे ही एक बयान ने अब उन्हें खुद सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने इस बयान पर सख्त रुख अपनाते हुए मांझी को कानूनी नोटिस भेज दिया है.

मांझी ने सार्वजनिक मंच से यह कह दिया कि हर सांसद और हर विधायक कमीशन खाता है. यह बात सुनने में भले ही कुछ लोगों को तालियों के लायक लगे, लेकिन असल में यह पूरे लोकतंत्र पर सीधा हमला है. देश में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को बिना किसी सबूत के चोर कह देना न तो ईमानदारी है और न ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई लड़ाई. यह सिर्फ एक हल्का-फुल्का बयान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की साख पर चोट है.

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सोमनाथ भारती ने साफ शब्दों में कहा है कि इस तरह के बयान भ्रष्टाचार को उजागर नहीं करते, बल्कि उसे सामान्य बना देते हैं. जब सबको ही चोर कह दिया जाए, तो फिर असली चोर और ईमानदार के बीच फर्क ही खत्म हो जाता है. यही सोच लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक होती है. एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती और कानून भी इसकी इजाजत नहीं देता. कानूनी नोटिस में यह बात स्पष्ट की गई है कि पूरे सांसद-विधायक वर्ग पर लगाया गया यह आरोप मानहानि की श्रेणी में आता है. कानून पहले से तय है कि बिना तथ्य और बिना जांच किसी पहचान योग्य समूह को अपराधी बताना गलत है. अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह नहीं होता कि कोई भी कुछ भी कह दे और जिम्मेदारी से बच जाए. बोलने की आज़ादी के साथ जवाबदेही भी जुड़ी होती है.

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सोमनाथ भारती ने मांझी से कहा है कि वे सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से, उसी माध्यम से, बिना किसी शर्त के माफी मांगें, अपने बयान को वापस लें और भविष्य में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करने का लिखित भरोसा दें. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी हर्जाने की मांग भी शामिल होगी. यह कोई धमकी नहीं, बल्कि कानून का सीधा और साफ रास्ता है.

आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले पर एक बड़ा सवाल भी उठाया है. क्या भाजपा सरकार के मंत्री अब पूरे संसद और विधानसभाओं को ही कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं? क्या ऐसे बयान जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी और असल मुद्दों से हटाने का तरीका नहीं हैं? पार्टी का कहना है कि जवाबदेही जरूरी है, लेकिन झूठे और अपमानजनक आरोपों की कोई जगह लोकतंत्र में नहीं हो सकती.

इस पूरे घटनाक्रम में फर्क साफ दिखाई देता है. एक तरफ मंच से उछाला गया गैर-जिम्मेदार बयान है, और दूसरी तरफ कानून के दायरे में रहकर दिया गया जवाब. सोमनाथ भारती ने यह दिखा दिया कि राजनीति में शोर मचाने से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और संवैधानिक तरीके से सच और सम्मान की रक्षा की जाती है. यह संदेश भी साफ है कि लोकतंत्र में बोलने से पहले सोचना जरूरी है, क्योंकि हर शब्द की कीमत होती है.


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