Yasin Malik Claim: यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि साल 2006 में उन्होंने पाकिस्तान में हाफिज सईद से मुलाकात के बारे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस समय के राष्ट्रीय सलाहकार एनके नारायणन को पर्सनली बताया था, बावजूद इसके उन्हें आतंकी करार दिया गया. बता दें कि जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक ने 25 अगस्त 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जो अब सामने आया है.
अमित मालवीय ने पोस्ट किया है हलफनामा
BJP के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने अपने X हैंडल पर यासीन मलिक के द्वारा दाखिल किया गया एफिडेविट पोस्ट किया है. एफिडेविट में यासीन मलिक का उपरोक्त बयान हाईलाइट किया गया है. इसमें उन्होंने बताया कि वे साल 2006 में खुफिया एजेंसियों के अनुरोध पर ही पाकिस्तान गए थे और वहां हाफिज सईद से मुलाकात की थी. भारत आकर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को मजबूत करने में भूमिका निभाने का मौका देने के लिए उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आभार जताया था. उन्हें और NSA को मीटिंग को लेकर ब्रीफ भी किया था.
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मीटिंग का गलत मतलब निकालने का आरोप
हलफनामे में यासीन मलिक ने दावा किया कि खुफिया एजेंसियों के अनुरोध पर पाकिस्तान गया, हाफिज सईद से मिला, प्रधानमंत्री और NSA को मीटिंग ब्रीफ की, बावजूद इसके उनकी मीटिंग का गलत मतलब निकाला गया. मीडिया के जरिए देश के सामने गलत तरीके से पेश किया और टेरर फंडिंग के आरोप लगाकर आतंकवादी करार दे दिया. UAPA की धारा लगाकर उम्रकैद की सजा सुनाकर जेल में डाल दिया गया, जबकि पाकिस्तान जाने से पहले खुफिया एजेंसी (IB) के तत्कालीन विशेष निदेशक वी.के. जोशी ने उन्हें दिल्ली बुलाकर निर्देश भी दिए थे.
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यासीन ने मकबूल भट्ट से की खुद की तुलना
यासीन मलिक ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि अब अगर उन्हें मौत की सजा दी जाती है तो वे इसके लिए भी तैयार हैं. शायद इससे विरोधियों को राहत मिल जाए, लेकिन मैं हंसते-हंसते फंदे पर झूलने के लिए तैयार हूं. यासीन मलिक ने अपनी तुलना कश्मीर के अलगाववादी नेता मकबूल भट्ट से की, जिसे आतंकी करार देकर वर्ष 1984 में फांसी दे दी गई थी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट यासीन मलिक की उम्रकैद की सजा को मौत की सजा में बदलने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
हाई कोर्ट बेंच ने यासीन मलिक को जवाब दाखिल करने के लिए 10 नवंबर तक का समय दिया है. साल 2022 में यासीन मलिक को गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.