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Chandigarh पर केंद्र का यूटर्न, विरोध के बाद बिल पर दी सफाई, ‘सिटी ब्यूटीफुल’ को आर्टिकल 240 में क्यों शामिल करना चाहती है सरकार?

Chandigarh Under Article 240: केंद्र सरकार चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के दायरे में लाकर पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहती है, लेकिन पंजाब में विरोध होने के कारण सरकार को अपने फैसले से यूटर्न लेना पड़ा. सरकार ने एक बयान जारी करके स्पष्ट किया है कि आगामी संसद सत्र में चंडीगढ़ से जुड़ा कोई विधेयक पेश नहीं किया जाएगा.

केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पूरी तरह से केंद्र शासित प्रदेश बनाना चाहती है.

Article 240 Impact on Chandigarh: संसद के एक दिसंबर से शुरू होने वाले मानसून सत्र में एक संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा, जिसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है. लेकिन विधेयक का पंजाब में विरोध शुरू हो गया है तो केंद्र सरकार को यूटर्न लेना पड़ गया.

केंद्र सरकार ने एक बयान जारी करके स्पष्टीकरण दिया है और संसद में कोई विधेयक पेश नहीं होने की बात कही, लेकिन बता दें कि अगर विधेयक सदन में पेश हुआ तो संसद के साथ-साथ पंजाब में भी खूब हंगामा होने के आसार हैं, क्योंकि पंजाब के सभी राजनीतिक दल विधेयक के खिलाफ एकजुट हो गए हैं. वहीं हरियाणा ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है.

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केंद्र सरकार की ओर से बयान जारी

केंद्र सरकार की ओर गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ की शासन व्यवस्था को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में कोई बिल नहीं आ रहा है. चंडीगढ़ का प्रशासनिक ढांचा जैसा है, वैसा ही रहेगा. चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अभी केंद्रीय स्तर पर विचाराधीन है. प्रस्ताव पर कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है.

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प्रस्ताव में चंडीगढ़ की शासन-प्रशासन व्यवस्था को बदलने का जिक्र नहीं है. चंडीगढ़ के साथ पंजाब या हरियाणा के संबंधों को बदलने का प्रावधान नहीं है. चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों से विचार विमर्श के बाद ही निर्णय लिया जाएगा. इसलिए इस विषय पर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. शीतकालीन सत्र में कोई बिल प्रस्तुत करने की मंशा केंद्र सरकार की नहीं है.

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क्या है चंडीगढ़ की वर्तमान स्थिति?

बता दें कि वर्तमान में चंडीगढ़ के प्रशासक पंजाब के गवर्नर होते हैं. वही चंडीगढ़ से जुड़े फैसले लेते हैं और वहीं चंडीगढ़ के लिए रूल्स एंड रेगुलेशन बनाते हैं. चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी भी पंजाब के राज्यपाल को मिलती है. यह व्यवस्था एक जून 1984 से है, इससे पहले 1 नवंबर 1966 को पंजाब बनने के बाद मुख्य सचिव के पास चंडीगढ़ का प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी थी.

1966 में ही चंडीगढ़ को अस्थायी केंद्र शासित बनाकर पंजाब और हरियाणा की जॉइंट कैपिटल बनाया गया था, लेकिन जून 1984 में मुख्य सचिव के पद को प्रशासक का सलाहकर बना दिया गया और पंजाब गवर्नर को प्रशासक, जैसा कि 1984 से पहले था. बदलाव होने से किरायेदारी में सुधार होगा. पंजाब विनियमन अधिनियम में संशोधन की मांग पूरी होगी.

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विधेयक पास हुआ तो क्या बदलेगा?

बता दें कि अगर संसद में 131वां संशोधन विधेयक पास हो गया तो चंडीगढ़ अनुच्छेद 240 के दायरे में आ जाएगा और राष्ट्रपति को चंडीगढ़ के लिए फैसले लेने की शक्ति मिल जाएगी. राष्ट्रपति ही चंडीगढ़ के रूल्स एंड रेगुलेशन बनाएंगे. वहीं चंडीगढ़ में लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) निुयक्त हो जाएंगे. संसद के कानून प्रत्यक्ष रूप से लागू हो सकेंगे.

चंडीगढ़ पर वह सभी नियम लागू होंगे, जो केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव एवं पुदुच्चेरी पर लागू होते हैं. इस बदलाव का मकसद चंडीगढ़ प्रशासन को सुव्यवस्थित करना और केंद्रीय कानूनों को चंडीगढ़ में तेजी से लागू करना है. वर्तमान में केंद्रीय कानूनों को चंडीगढ़ में लागू करने के लिए पंजाब के कानूनों पर निर्भरता है.

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राजनीतिक विवाद और विरोधी पंजाब

बता दें कि चंडीगढ़ को लेकर केंद्र सरकार के प्रस्ताव का पंजाब विरोध कर रहा है. विधेयक पर पंजाब में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है और प्रदेश के सभी दल विधेयक के विरोध में एकजुट हो गए है. विधेयक को पंजाब के अधिकारों पर हमला और अधिकारों का हनन बताया जा रहा है. पंजाब से चंडीगढ़ को छीनने की साजिश बताया जा रहा है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधेयक को पंजाब के हितों के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार से तत्काल बातचीत करने की मांग की. कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने भी AAP सरकार का समर्थन करते हुए पंजाबियों के साथ विश्वासघात ओर चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के वादे का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. सभी राजनीतिक दलों ने विधेयक को संसद में पेश न करने की मांग की है.


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