Anna Hazare Profile: देश में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जन-जन में विरोध की अलख जगाने वाले अन्ना हजारे एक बार फिर सुर्खियों में हैं. क्योंकि उन्होंने एक बार फिर रालेगण सिद्धि में आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान किया है, जो उनकी आखिरी अनशन होगा, यानी वे इस बार आखिरी सांस तक भूख हड़ताल करेंगे. महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून लागू कराने के लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेटर लिखकर अनशन की चेतावनी दी है.
सैनिक से बने सामाजिक कार्यकर्ता
गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित होकर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले अन्ना हजारे एक सैनिक से भ्रष्टाचार विरोधी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बने, जिन्होंने उपवास रखकर अहिंसक तरीके से केंद्र और राज्य सरकारों को झुकाया और अपनी मांगें मनवाईं. अन्ना हजारे ने जिंदगी के 15 साल देशसेवा में लगाए और सेना से रिटायर होने के बाद समाज सेवा में लग गए. वे उन नेताओं में शामिल हैं, जो सिर पर गांधीजी की टोपी और खादी के कपड़े पहनते हैं.
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पारिवारिक जीवन और शिक्षा-पढ़ाई
15 जून 1938 को महाराष्ट्र के भिंगारी गांव में जन्मे अन्ना हजारे का असली नाम किसन बापट बाबूराव हजारे है. उनके पिता बाबूराव हजारे मजदूरी करते थे और उनकी मां का नाम लक्ष्मीबाई हजारे थे. 6 भाइयों में से एक अन्ना हजार आर्थिक तंग के कारण 7वीं तक ही पढ़ पाए. गरीबी की मार झेलते हुए अन्ना हजारे का परिवार मुंबई आ गया, जहां उन्हें परिवार के गुजर बसर के लिए एक फूल वाले के यहां नौकरी करनी पड़ी, जहां उन्हें 40 रुपये महीना पगार मिलती थी.
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सेना में भर्ती होकर सिपाही बने अन्ना
मुंबई में गुंडों से गरीबों की रक्षा करने वाले गुट का हिस्सा बनकर समाज सेवा करने वाले अन्ना हजार ने 1962 में सेना जॉइन की थी. भारत-चीन युद्ध के बाद केंद्र सरकार ने युवाओं से आर्मी जॉइन करने की अपील की तो वे सेना की मराठा रेजीमेंट में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए. 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्हें सरहद पर जाने का मौका मिला और खेमकरण में तैनात हुए, जहां 12 नवंबर 1965 को पाकिस्तान के हवाई हमले में वे इकलौते जिंदा बचे सिपाही थे, बाकी मारे गए थे.
रालेगण सिद्धि गांव की काया पलटी
सेना से रिटायर होने के बाद वे अहमदनगर जिले के गांव रालेगण सिद्धि में रहने लगे, जहां के किसानों के लिए उन्होंने काम किया. उन्होंने सूखाग्रस्त और गरीबी-अपराध से ग्रस्त गांव को आत्मनिर्भर बनाया. गांव की बिजली-पानी की कमी दूर करने के लिए किसानों के साथ मिलकर तालाब बनाए, जिनमें बारिश का पानी स्टॉक करके सिंचाई के साधन मजबूत किए. पेड़ लगाकर गांव को हरा-भरा बनाया. सोलर एनर्जी और गोबर गैस से बिजली की समस्या दूर करने में मदद की.