रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिन के भारत दौरे पर हैं. 4 दिसंबर की शाम को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर पुतिन पहुंचे थे और पीएम मोदी ने उन्हें खुद रिसीव किया था. जिसके बाद से से ही प्रोटोकॉल को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कि आखिर ये प्रोटोकॉल क्या होते हैं. आज इस खबर में हम आपको बताते हैं कि किसी भी दूसरे देश से जब कोई प्रमुख भारत आता है तो उसके स्वागत को लेकर क्या प्रोटोकॉल होते हैं.
जब भी विदेश से कोई दूसरा प्रतिनिधि भारत आता है तो उस समय एक तरह की पॉलिसी फॉलो करनी होती है और दूसरे देश के प्रमुख के स्वागत के दौरान इसी पॉलिसी के तहत आगे कदम लिए जाते हैं.
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देश में ये प्रोटोकॉल विदेश मंत्रालय तय करता है. मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स (MEA) में प्रोटोकॉल डिविजन होते हैं. यही नोडल ऑफिस होता है जो किसी भी देश के प्रेसीडेंट, वॉइस प्रेसीडेंट या मिनिस्टर्स के भारत आने का पूरा मैनेजमेंट देखता है. इस डिविजन को एक चीफ प्रोटोकॉल ऑफिसर लीड करता है.
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विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के अंदर प्रोटोकॉल डिविजन की जिम्मेदारियां काफी व्यापक और संवेदनशील होती हैं. यह डिविजन मुख्य रूप से तीन अलग-अलग सब-यूनिट्स में विभाजित होता है और हर सब-यूनिट का नेतृत्व एक डिप्टी चीफ ऑफ प्रोटोकॉल (Deputy Chief of Protocol - DCP) करते हैं.
क्या है Principle of Reciprocity?
जब किसी दूसरे देश का राष्ट्राध्यक्ष, सरकार प्रमुख या कोई अन्य उच्च स्तरीय VIP भारत की आधिकारिक यात्रा पर आता है, तो भारत 'रेसिप्रोसिटी' (परस्परता) के सिद्धांत का सख्ती से पालन करता है. इसका सीधा मतलब है कि हम उस मेहमान को ठीक वैसी ही सुविधाएं, सम्मान, प्रोटोकॉल और व्यवहार देते हैं, जैसा उसका देश हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या अन्य उच्च अधिकारियों को देता है, जब वे वहां जाते हैं.
- अगर किसी देश में हमारे प्रधानमंत्री को एयरपोर्ट पर रेड कार्पेट, गार्ड ऑफ ऑनर और स्टेट बैनक्वेट नहीं दिया जाता, तो उसी देश के प्रमुख को भारत में भी उतना ही प्रोटोकॉल मिलेगा.
- अगर वहां हमारे राष्ट्रपति की गाड़ी में केवल 4 एस्कॉर्ट गाड़ियां दी जाती है, तो उनके प्रमुख को भारत में भी लगभग उतनी ही एस्कॉर्ट गाड़ी मिलेंगी.
प्रोटोकॉल डिविजन इस पर कड़ी नजर रखता है. वहीं, विदेश मंत्रालय के पास हर देश के साथ पिछली की गई सभी विजिट्स का पूरा रिकॉर्ड रहता है.
पीएम मोदी से पहले रहे प्रधानमंत्री ने भी कई राष्ट्राध्यक्षों को किया रिसीव
भारत में लंबे समय से एक सख्त प्रोटोकॉल नियम रहा है कि प्रधानमंत्री किसी भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख का एयरपोर्ट पर स्वागत करने नहीं जाते हैं. यह काम आम तौर पर विदेश राज्य मंत्री या प्रोटोकॉल मंत्री करते हैं. लेकिन पिछले डेढ़ दशक में यह परंपरा कई बार टूटी है.
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पीएम मोदी ने कब किसे किया रिसीव?
सितंबर 2014: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर खुद रिसीव किया और साबरमती रिवरफ्रंट पर ले गए.
जनवरी 2015: अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत (पहला मौका जब कोई भारतीय पीएम अमेरिकी राष्ट्रपति को एयरपोर्ट लेने पहुंचे थे).
दिसंबर 2015: जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे को वाराणसी ले जाकर गंगा आरती दिखाई.
जनवरी 2017: अबु धाबी के क्राउन प्रिंस (अब UAE राष्ट्रपति) शेख मोहम्मद बिन जायद को एयरपोर्ट पर रिसीव किया.
2017-2018 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, ऑस्ट्रेलियाई पीएम मैल्कम टर्नबुल, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू आदि को भी एयरपोर्ट पर खुद लेने गए.
हालांकि पीएम मोदी से पहले भी यह कई बार हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार, डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में कम से कम पांच बार एयरपोर्ट जाकर विदेशी मेहमानों का स्वागत किया था, जिनमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, रूसी राष्ट्रपति और कुछ अन्य प्रमुख शामिल थे.