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2019 के वोटरों को जीतने की कोशिश, बजट में दिखी BJP की छटपटाहट, नहीं सुलझ रही सियासी गुत्थी

Union Budget 2024 Politics: 10 साल बाद बीजेपी का फोकस रोजगार पर आया है और निर्मला सीतारमण ने युवाओं के मुद्दे को प्राथमिकता दी है। ये देखना दिलचस्प होगा कि रोजगार पैदा करने के लिए बजट में किए गए प्रावधानों का कैसा असर होता है।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Jul 24, 2024 15:03
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बीजेपी ने बजट के जरिए अपने वोटर वर्ग को साधने की कोशिश की है। फाइल फोटो

Union Budget 2024 Politics: मोदी 3.0 का पहला बजट पेश करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने बजट को जिस एक शब्द में समेटा में, वह था प्राथमिकता। बजट में जिस चीज को प्राथमिकता दी गई है वह है, रोजगार। लोकसभा चुनाव के दौरान जनता की जुबान पर सबसे ज्यादा यही शब्द था और पेपरलीक से त्रस्त युवाओं ने सरकार से रोजगार मांगा तो वोट भी रोजगार के मुद्दे पर दिया। खासतौर पर यूपी में। नतीजा ये हुआ कि बीजेपी बहुमत से चूक गई।

2014 और 2019 में बीजेपी को वोट करने वाले युवाओं ने 2024 में बीजेपी से मुंह मोड़ लिया। इसी वोटर वर्ग को दोबारा बीजेपी के पाले में लाने की कोशिश है, प्राइवेट सेक्टर को इनसेंटिव आधारित योजनाओं का ऐलान, चाहे वो इंडस्ट्री हों या MSMEs। रोजगार के मोर्चे पर अपनी नाकामयाबी को दूर करने की बीजेपी की छटपटाहट बजट में साफ नजर आती है।

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रोजगार पर बीजेपी का फोकस

देश की आबादी में युवा वर्ग की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। बेरोजगारी से आहत युवाओं को राजनीतिक नेतृत्व से कोई मदद नहीं मिली है। 10 साल बाद बीजेपी का फोकस रोजगार पर आया है और निर्मला सीतारमण ने युवाओं के मुद्दे को प्राथमिकता दी है। ये देखना दिलचस्प होगा कि रोजगार पैदा करने के लिए बजट में किए गए प्रावधानों का कैसा असर होता है।

बड़ा सवाल, अप्रेंटिसशिप के बाद क्या?

पहला ये कि क्या वाकई में इससे बेरोजगारी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। कंपनियों में युवाओं को अप्रेंटिसशिप पूरी होने के बाद नौकरियां मिल पाएंगी और क्या इसका असर बीजेपी को राजनीतिक तौर पर भी मिलेगा। वित्तमंत्री ने प्राइवेट सेक्टर के नियोक्ता के लिए इनसेंटिव देने पर दांव खेला है। अगर सरकार के प्लान पर कंपनियां रेस्पांस करती हैं तो फिर नौकरियां भी पैदा होंगी। लेकिन उम्मीदी के उलट एक और आशंका है कि क्या होगा, अगर कंपनियों ने रेस्पांस नहीं दिया।

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कितनी नौकरियां पैदा होंगी?

इसके बाद एक और सवाल है कि अगर कंपनियों ने रेस्पांस किया भी तो कितनी नौकरियां पैदा होंगी। पूरे देश में यह नैरेटिव बना हुआ है कि बीजेपी ने 10 सालों में रोजगार पर ध्यान नहीं दिया। इसीलिए 2024 का बजट लीक से हटकर है। बजट में इंटर्नशिप प्रोग्राम के ऐलान के बाद यह सवाल और तीखा हो जाता है कि इंटर्नशिप करने वाले युवाओं को एक साल बाद पक्की नौकरी मिल जाएगी? या फिर एक साल की अप्रेंटिसशिप के बाद बेरोजगार हो जाएंगे। अगर सरकार का इंटर्नशिप प्रोग्राम सफल नहीं होता है तो फिर बीजेपी को राजनीतिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। नौकरी और रोजगार की गुत्थी बीजेपी के लिए सुलझानी और मुश्किल हो जाएगी।

बजट से सबको साधने की कोशिश

2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने स्किल डेवलपमेंट पर फोकस किया। लेकिन ये प्रोजेक्ट कितना सफल हुआ, ये ‘राम’ ही जानते हैं। हालांकि 10 साल बाद बीजेपी की कोशिश कामयाब हुई तो युवाओं को शानदार नौकरी हाथ लग सकती है। वित्तमंत्री ने बजट के जरिए बीजेपी के सहयोगियों को भी साधा है। बिहार, आंध्र प्रदेश पर विशेष ध्यान दिया गया है। दोनों राज्यों पर केंद्र सरकार की इस खास मेहरबानी को कांग्रेस ने ‘कुर्सी बचाओ’ बजट करार दिया है।

महिलाओं पर भी वित्तमंत्री का दांव

हर चुनाव में महिलाएं बड़ी संख्या में हिस्सा लेती हैं और बड़े पैमाने पर वोटिंग भी करती हैं। आज की राजनीति में महिला वोटर गेमचेंजर हैं। बीजेपी ने महिला वर्ग का भी खास ख्याल रखा है और बजट में महिलाओं और लड़कियों के लिए 3 लाख करोड़ का आवंटन किया है। आवंटित पैसा ज्यादातर स्वयं सहायता समूह के जरिए खर्च किया जाएगा। इससे लाभार्थी और लखपति दीदी कार्यक्रम को बड़ा फंड मिलने की उम्मीद है। 2024 के रिजल्ट ने दिखाया है कि कुछ इलाकों में जहां अन्य वर्ग नाराज होते हैं, वहां महिला वोटर बीजेपी के लिए बड़ा सहारा हैं।

हालांकि बजट से अर्बन मिडिल क्लास बहुत खुश नहीं है। कैपिटल गेन्स टैक्स का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन बीजेपी को इनकी परवाह नहीं है। उसे अपना युवा, महिला और लाभार्थी वर्ग वापस चाहिए जो 2024 में उससे छिटक गया है। और इस बजट की यही पॉलिटिक्स है।

 

First published on: Jul 24, 2024 03:03 PM

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