मनोज पांडे, कोलकाता: 6 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में राम नवमी की तैयारियां तेज हो गई हैं। पूरे कोलकाता में भगवान श्री राम के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुवेंदु अधिकारी के पोस्टर लगे हैं। दरअसल अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर अभी से राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है, जिसका असर आगामी राम नवमी के अवसर पर भी देखा जा सकता है। पश्चिम बंगाल में भाजपा कमल खिलाने की मुहिम में लगी है तो सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) किसी भी सूरत में सत्ता से अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती है। राम नवमी के अलावा पश्चिम बंगाल के आगामी चुनाव का कनेक्शन बांग्लादेश हिंसा से भी जोड़ा जा रहा है।
राम नवमी पर चढ़ा सियासी रंग
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं देखने को मिली। अब पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों के चलते राज्य में इस साल राम नवमी का त्योहार सियासी रूप से बेहद अहम हो गया है। राम नवमी समारोह सियासी रण क्षेत्र में बदलता दिख रहा है क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के बीच ध्रुवीकरण को लेकर होड़ मची हुई है।
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शोभा यात्रा में जुटेंगे 1 करोड़ लोग
पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश में लगी है। इसी कड़ी में बीजेपी ने राम नवमी के त्योहार को अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बना लिया है। हिंदू परिषद जैसे हिंदूवादी संगठनों की ओर से 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हफ्ते भर के राम नवमी समारोह के लिए पूरे राज्य के सभी ब्लॉक में शोभा यात्रा निकालने की तैयारी की गई है। इस दौरान 1 करोड़ से अधिक लोगों को एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है।
तुष्टिकरण की राजनीति का जवाब
बीजेपी नेताओं का दावा है कि इस तरह की शोभा यात्राएं 'बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाओं' और TMC की 'तुष्टिकरण की राजनीति' के खिलाफ प्रतीकात्मक प्रदर्शन के रूप में काम करेंगी। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की पश्चिम बंगाल यूनिट के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले सीमा के इस तरफ (भारत में) मौजूद लोगों की आंखें खोलने वाले हैं। अगर हम अभी इसका प्रतिरोध नहीं करेंगे, तो TMC की तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से पश्चिम बंगाल में भी हिंदुओं का यही हाल हो सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि बंगाल में भी हिंदू, TMC समर्थित जिहादियों के इसी तरह के हमलों का पहले से ही सामना कर रहे हैं। इस साल का राम नवमी समारोह ऐसे अत्याचारों का 'जवाब' होगा।
विश्व हिंदू परिषद ने क्या कहा?
विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश सचिव चंद्र नाथ दास भी राम नवमी समारोह का सियासी महत्व बताते हैं। उन्होंने इसके लिए 3 अहम कारण गिनाए हैं, पहला- बंगाली श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड संख्या में महाकुंभ मेले में शामिल होना, और अयोध्या में राम मंदिर में दर्शन करने जाना। दूसरा-बांग्लादेश में उत्पीड़न के शिकार अपने रिश्तेदारों के साथ कई हिंदुओं का भावनात्मक जुड़ाव। तीसरा - अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण की राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ राज्य में बढ़ता असंतोष। उन्होंने कहा कि इस साल की राम नवमी ने लोगों को अपना गुस्सा जाहिर करने और विरोध जताने का मौका दिया है।
शोभा यात्रा पर सबकी नजर
पिछले साल पश्चिम बंगाल में राम नवमी के अवसर पर करीब एक हजार शोभा यात्राएं निकाली गई थीं। इस साल ये शोभा यात्रा ग्रामीण क्षेत्रों से भी निकाली जाएंगी। ऐसे में इस बार 3 हजार से अधिक शोभा यात्रा निकाले जाने की संभावना है। कई शोभा यात्राओं में 50 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है। हालांकि राज्य में सत्तारुढ़ TMC इससे नाराज है और वह बीजेपी पर पलटवार करते हुए धर्म को सियासी औजार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगा रही है।
TMC ने किया पलटवार
TMC के प्रवक्ता कुणाल घोष ने बीजेपी और कई हिंदूवादी संगठनों के विचार को खारिज करते हुए कहा कि यहां की जनता उन लोगों को स्वीकार नहीं करेगी, जो धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं। पार्टी सांसद सौगत रॉय ने दावा किया कि बीजेपी जानबूझकर धार्मिक उत्सवों का इस्तेमाल बंगाल के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए कर रही है। बीजेपी के लोग चुनाव से पहले यहां के लोगों को बांटना चाहते हैं। हाल के वर्षों में बंगाल में राम नवमी के अवसर पर शोभा यात्राओं के दौरान कई जगहों पर सांप्रदायिक झड़पें भी हुई हैं। साल 2018 में आसनसोल में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। ऐसा ही सांप्रदायिक तनाव मुर्शिदाबाद, हावड़ा और मालदा में साल 2019, 2022 और 2023 में देखने को मिला था।
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