देश में ऐसी कई प्रथाएं हैं जिन्हें आप सुनकर हैरान ही नहीं बल्कि अपना माथा पकड़ लेंगे. इन प्रथाओं के बारे में आपको सुनकर ही हैरानी होगी कि आखिर आज के समय में भी ऐसा कैसे हो सकता है.
राजस्थान में आज भी कई ऐसी परंपराएं हैं जिन्हें सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं. इस खबर में आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान की सातिया जनजाति की. ये जनजाति लोगों के पैदा होने पर दुख और किसी के मरने पर खुशी मनाती है. जी हां, सही सुना आपने. इस जनजाति की परंपराएं दुनिया से बिल्कुल अलग हैं.
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सातिया समुदाय की ये सोच दुनिया भर की सोच औऱ नजरिए पर भी एक तरह का सवाल उठाती है. सातिया समुदाय में आम तौर पर जब किसी की मौत होती है तो उस दिन जश्न मनाया जाता है. पूरे गांव में ढोल नगाड़ों की आवाज गूंजती है, मिठाइयां बाटीं जाती हैं और पूरे गांव के लोग रात भर नाच गाना करते हैं.
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बच्चे के जन्म पर मनाते हैं शोक
वहीं, इस समुदाय में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो गांव का माहौल गमगीन हो जाता है. गांव के लोग शोक में डूब जाते हैं. गांव में मातम पसर जाता है. सातिया समुदाय की ये प्रथा भले ही देश के बाकी हिस्सों में रह रहे लोगों को हैरान कर दे लेकिन उनके लिए इस प्रथा में एक गहरा विश्वास छिपा है.
बता दें कि राजस्थान के सातिया समुदाय में मात्र 24 परिवार रहते हैं. सातिया समुदाय के लोग किसी की भी व्यक्ति की मौत को आत्मा की मुक्ति मानता है. उनका मानना है कि मरने के बाद व्यक्ति इस दुनिया की भौतिक कैद से आजाद हो जाता है इसलिए यह अवसर खुशी का होता है. वहीं, अंतिम संस्कार के दिन यहां के लोग नए कपड़े पहनते हैं और मेवा व मिठाइयां खरीदते हैं.
राख ठंडी होने तक होता है नाच गाना
बता दें कि किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद इस समुदाय के लोग उसके अंतिम संस्कार के बाद उसकी राख ठंडी होने तक नाच गाना करते हैं. ये लोग इस दिन शराब का भी सेवन करते हैं. यहां पर शव के चिता तक का सफर भी धूमधाम से मनाया जाता है. सातिया समुदाय के लोग इसे आत्मा की शांति यात्रा की तरह पूरा सम्मान देते हैं और राख बुझने पर सामूहिक भोज का भी आयोजन किया जाता है.
क्यों मानता है जीवन को पापों से भरी सजा?
सातिया समुदाय के लोग किसी बच्चे के जन्म होने पर दुखी हो जाते हैं. उनके हिसाब से नए जीवन को वे पापों से भरी सजा मानते हैं और शोक मनाते हैं. उनका कहना है कि किसी बच्चे का जन्म होने का मतलब है कि आत्मा के दुखों का फिर से धरती पर लौट आना. इसलिए इस दिन को वह शोक मानते हैं.