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2 करोड़ जुर्माना, 3 रेगुलेटरी काउंसिल… क्या है विकसित भारत शिक्षा बिल 2025? जिससे बदलेगा हायर एजुकेशन सिस्टम

Viksit Bharat Shiksha Bill 2025: संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने विकसित भारत शिक्षा बिल 2025 पेश किया गया था, जिसे विपक्ष के विरोध के बीच JPC के पास भेज दिया गया है. दरअसल, सरकार अपने इस महत्वाकांक्षी बिल को कानून बनाकर लागू कर चाहती है, इसलिए सरकार चाहती है कि इसमें जो भी कमी है, उसे दूर करके सुधार करके ही संसद में पेश किया जाएगा, ताकि बिना किसी विरोध के बिल पास हो जाए.

विकसित भारत शिक्षा बिल का मकसद हायर एजुकेशन सिस्टम बदलना है.

Viksit Bharat Shiksha Bill Explainer: केंद्र सरकार देश का हायर एजुकेशन सिस्टम बदलना चाहती है. इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 'विकसित भारत शिक्षा बिल 2025' बनाया है, जिसे संसद के शीतलकालीन सत्र में लोकसभा में पेश किया गया, लेकिन विपक्ष ने बिल का विरोध किया और इसे सुधार करने के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेजने की मांग की. क्योंकि यह बिल सरकार का महत्वाकांक्षी बिल है, इसलिए किसी भी तरह की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने बिल को JPC में भेजने की मंजूरी दे दी है.

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पहले कुछ और था बिल का नाम

बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान काफी समय से बिल की चर्चा बैठकों में करते रहे हैं. जब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बिल का ड्राफ्ट बनाया तो इसे हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडियान (HECI) नाम दिया गया था, लेकिन कैबिनेट में पेश करने के बाद मिले सुझावों के अनुसार इसका नाम 'विकसित भारत अधिष्ठान बिल' (VBAB) या 'विकसित भारत शिक्षा बिल' कर दिया गया. कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही बिल को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष ने बिल के जरिए एजुकेशन सिस्टम पर कंट्रोल करने आरोप सरकार पर लगाया है.

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क्या है विकसित भारत शिक्षा बिल?

बता दें कि विकसित भारत शिक्षा बिल देश में हायर एजुकेशन की मॉनिटरिंग के लिए बनाया गया है, जिसके तहत UGC, AICTE, NCTE को मर्ज करके सिंगल हायर एजुकेशन कमीशन बनाया जाएगा, जो हायर एजुकेशन सिस्टम के लिए काम नियम बनाएगी, सिलेबस-कोर्स फाइनल करेगी, वर्किंग पर नजर रखेगी, नियमों के उल्लंघन पर एक्शन लेगी‌. अगर कोई यूनिवर्सिटी या कॉलेज फर्जी निकलता है तो उस पर 10 लाख से 2 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जाएगा. यह जुर्माना लगाने और उसे बंद करने का अधिकार भी इसी आयोग के पास होगा.

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आयोग करेगा काम की मॉनिटरिंग

आयोग ही देखेगा कि किस यूनिवर्सिटी या कॉलेज का काम अच्छा है, किसका नहीं? इसके आधार पर यूनिवर्सिटी और कॉलेज की रैकिंग होगी, जिसके अनुसार सुविधाएं मिलेंगी. केंद्र सरकार को आयोग ही सलाह देगा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था को दुनियाभर में शिक्षा का हब बाने के लिए क्या किया जा सकता है? आयोग में एक अध्यक्ष होगा, एक एजुकेशन एक्सपर्ट, केंद्र सरकार का प्रतिनिधि और एक सेक्रेटरी होगा. आयोग के तहत अलग-अलग 3 परिषदें बनाई जाएंगी, जिनका काम अलग-अलग होगा और आयोग इनकी रिपोर्ट पर ही एक्शन लेगा.

आयोग में बनेंगी यह 3 काउंसिल

बिल में प्रावधान है कि आयोग के दायरे में 3 काउंसिल काम करेंगी. एक रेगुलेटरी काउंसिल, जो यूनिवर्सिटी की मॉनिटरिंग करेगी. नियमों का पालन, पैसे का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करेगी. स्टूडेंट्स और टीचर्स की शिकायतों का समाधान करेगी. एक्रीडेशन काउंसिल कॉलेज या यूनिवर्सिटी को मान्यता देने या वापस लेने का काम करेगी, जिसके लिए काउंसिल निर्धारित करेगी कि कॉलेज-यूनिवर्सिटी तय मानकों पर खरा उतरती है या नहीं. स्टैंडर्ड काउंसिल मानक, नियम और कॉलेज-यूनिवर्सिटी में शिक्षा-पढ़ाई का स्तर तय करेगी और उस लागू भी करेगी.

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किन पर लागू होगा, किन पर नहीं?

अगर बिल पास हुआ तो नए कानून के दायरे में सेंट्रल और स्टेट यूनिवर्सिटी, डीम्ड यूनिवर्सिटी, IIT, NIT, कॉलेजों, ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन इंस्टीट्यू आएंगे. मेडिकल, लॉ, फार्मेसी, नर्सिंग कोर्स प्रत्यक्ष रूप से इस कानून के दायरे में नहीं आएंगे, लेकिन उन्हें आयोग के द्वारा बनाए एक नियमों और निर्धारित मानकों का पालन करना होगा.

केंद्र सरकार की क्या भूमिका होगी?

बिल में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार को सेंट्रल कमीशन को दिशा-निर्देश देने का अधिकार होगा. आयोग और उसकी कांउसिल के सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करेगी. दूसरे देशों की यूनिवर्सिटी को भारत में मान्यता देनी है या नहीं, इसका फैसला केंद्र सरकार करेगी. आयोग या उसक कांउसिल को भंग करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा. आयोग और काउंसिल केंद्र सरकार को एनुअल और ऑडिट रिपोर्ट देगी.

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क्या बदलेगा और क्या फायदा होगा?

विकसित भारत शिक्षा बिल कानून बना तो कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एक जैसे नियम और काम करने का तरीका लागू हो जाएगा. नए कॉलेज खोले जाएंगे और नए कोर्स शुरू होंगे. नया सिलेबस बनाकर लागू किया जाएगा. नौकरियां पाने और स्किल्स इम्प्रूव करने वाले कोर्स की संख्या बढ़ेगी. एजुकेशन सिस्टम स्टूडेंट सेंट्रिक बनेगा. छोटे और नए कॉलेजों को समान अवसर मिलेंगे. छात्रों के लिए एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाएगा.

बिल पर विपक्ष को आपत्ति क्या-क्यों?

विपक्ष ने विकसित भारत शिक्षा बिल का विरोध किया है. विपक्ष का कहना है कि इस बिल को कानून बनाया तो देश के हायर एजुकेशन सिस्टम पर केंद्र सरकार का कंट्रोल हो जाएगा. कॉलेज और यूनिवर्सिटी की आजादी पर असर पड़ेगा. हायर एजुकेशन जॉब एंड स्किल बेस्ड हो जाएगी. नॉलेज और रिसर्च पर फोकस कम हो सकता है. बिल को कानून बनाकर जितना बड़ा बदलाव करने की तैयारी है, उतना ही समय इसे पढ़ने और समझने को भी मिलना चाहिए.


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