अमेरिकी मशीन से नहीं चला काम तो स्वदेशी तकनीक ने दिखाया जलवा
मजदूरों की जान सुरक्षित बचाने के लिए अमेरिका लाई गई ऑगर मशीन फेल होने के बाद टनल के अंदर रैट होल माइनिंग की गई। इसी के साथ रैट होल माइनिंग के एक्सपर्टों ने हाथों के औजारों से मलबे को हटाया और पाइपलाइन को अंदर डाला। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों को टनल से बाहर लाया गया। इसके अलावा मौके पर मजदूरों के लिए डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस तैनात हैं, ताकि घायल मजदूरों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सके। इन मजदूरों को एनडीआरएफ टीम ने एक लंबे पाइप के जरिए बाहर निकाला है। इसके लिए सिलक्यारा टनल में 55.3 मीटर लंबे पाइप के साथ दूसरे पाइप को वेल्ड करके जोड़ा गया था। यह भी पढ़ें: मिलिए टनल एक्सपर्ट Arnold Dix से, जिन्हें उत्तरकाशी में 41 जिंदगियां बचाने के लिए सैल्यूट कर रहा पूरा देशकैसे करते हैं रैट-माइनर्स अपना काम?
रैट माइन तकनीक में एक्सपर्ट्स को सुरंग में उतारा जाता है, जिनके हाथों में छोटे-छोटे फावड़े और हथौड़े होते हैं। ये अंदर जो खुदाई करते हैं, उस मलबे को तसले या ट्राली की ममद से बाहर निकाला जाता है। अगर फावड़े काम नहीं देते तो ड्रिलिंग के जरिये खुदाई को अंजाम दिया जाता है। इन टीम मेंबर्स को ऑक्सीजन मास्क, प्रोटेक्टिव ग्लास के साथ अंदर उतारा जाता है। साथ ही हवा का ताजापन बनाए रखने के लिए पाइप में ब्लोअर चलाया जाता है।
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मुख्यमंत्री धामी ने की प्रार्थना
उधर, रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ प्रार्थनाओं का दौर भी लगातार जारी रहा। सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी में रेत की एक मूर्ति बनाकर अंदर इन मजदूरों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। मंगलवार काे ऑपरेशन के अंतिम दिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह मंगलवार को टनल हादसे की साइट पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने बताया था कि मैन्युअल ड्रिलिंग का कार्य पूरा हो गया है। सिलक्यारा टनल में चल रहे बचाव अभियान पर केंद्र और राज्य सरकार की नजरें बनी हुई हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जारी बचाव अभियान का निरीक्षण किया। उन्होंने सुरंग के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर पर पूजा-अर्चना की और सभी मजदूरों के सकुशल बाहर निकलने की प्रार्थना की।---विज्ञापन---