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Uttarkashi Tunnel Rescue : बाहर आने तक हर पल अपनों से जुड़े रहेंगे सुरंग में फंसे कामगार; BSNL ने जोड़े मदद के तार

Uttarkashi Tunnel Rescue , उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले 14 दिन से ढह गई सुरंग में फंसे 41 कामगारों को बाहर का उजाला न जाने कब नसीब होगा, लेकिन उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। इसी बीच शनिवार को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने ‘कनेक्टिंग इंडिया’ की अपनी चिरपरिचित […]

Uttarkashi Tunnel Rescue , उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले 14 दिन से ढह गई सुरंग में फंसे 41 कामगारों को बाहर का उजाला न जाने कब नसीब होगा, लेकिन उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। इसी बीच शनिवार को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने 'कनेक्टिंग इंडिया' की अपनी चिरपरिचित टैगलाइन को साबित करते हुए पीड़ित परिवारों के दिलों की तार जोड़ने का काम किया है। सुरंग के बाहर 200 मीटर दूर एक लैंडलाइन टेलीफोन सुविधा स्थापित की गई, वहीं पाइप की मदद से अंदर भी एक हैंडसेट पहुंचाया जाएगा।

दिवाली वाले दिन धंसी थी सुरंग, अंदर फंसे 41 मजदूर

गौरतलब है कि देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 12 नवंबर दिवाली के दिन सिल्कयारा टनल के आंशिक रूप से धंस जाने के बाद से 41 मजदूर अंदर ही फंसे हुए हैं। इन मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है। 17 नवंबर को चट्टान आने के बाद ड्रिलिंग रोकनी पड़ी थी। इसके बाद टनल के प्रवेश द्वार से एक बार फिर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई, लेकिन बावजूद इसके इन्हें निकाला जाना अभी मुमकिन नहीं हो पा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ प्रार्थनाओं का दौर भी लगातार जारी है। सेंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी में रेत की एक मूर्ति बनाकर अंदर इन मजदूरों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की। इन मजदूरों के बाहर आने के इंतजार में टनल के आसपास डेरा जमाकर बैठे इनके परिजनों के दिलों की धड़कनें पल-पल बढ़ जा रही हैं तो उम्मीद की हवा फिर से शांत कर दे रही है। हर किसी को उस पल का इंतजार है, जब इन्हें सुरक्षित बाहर ले आया जाएगा। यह भी पढ़ें: Uttarkashi Tunnel Collapse: महीनेभर में बाहर निकलेंगे मजदूर? टनल एक्सपर्ट के बयान से बढ़ी चिंता

फिर बेकार हुई ड्रिल मशीन

जहां तक रेस्क्यू ऑपरेशन के ताजा अपडेट की बात है, श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के बीच संचार की सुविधा छह इंच चौड़े पाइप द्वारा की जाती है। बचाव कर्मियों और फंसे हुए लोगों के रिश्तेदारों को अंदर की स्थिति देखने की अनुमति देने के लिए पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी डाला जाता था। वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि फंसे हुए श्रमिकों के बचाव अभियान में उम्मीद से अधिक समय लगेगा, क्योंकि भारी ड्रिल मशीन एक बाधा से टकराकर बेकार हो गई। इसी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मलबे में फंसकर क्षतिग्रस्त हुई बरमा मशीन को काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर हवाई मार्ग से मंगाया जा रहा है। यह भी पढ़ें: मोहम्मद शमी की कार के सामने एक्सीडेंट, शख्स के लिए फरिश्ता बन गए स्टार गेंदबाज

डीजीएम राकेश ने दी मदद की जानकारी

इसी बीच अंदर फंसे श्रमिकों को उनके परिवारों से जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए बीएसएनएल ने सुरंग स्थल से 200 मीटर दूर टेलीफोन सुविधा स्थापित की है। इसकी पुष्टि करते हुए बीएसएनएल के डीजीएम राकेश ने कहा, 'हमने एक टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित किया है। हम उन्हें भोजन भेजने के लिए इस्तेमाल होने वाले पाइप के माध्यम से लाइन से जुड़ा एक फोन देंगे। इस फोन में इनकमिंग और आउटगोइंग सुविधाएं होंगी। वे अपने परिवार से बात कर सकते हैं'।


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