देश की राजधानी की सड़कों पर उस वक्त हंगामा मच गया, जब अर्धसैनिक बल के जवानों ने उन्नाव रेप पीड़िता की मां के साथ बदसलूकी की. जवानों ने पीड़िता और उसकी मां को मीडिया से बात करने से रोका. इतना ही नहीं बुजुर्ग मां को चलती बस से कूदने पर मजबूर कर दिया. बता दें, इस मामले में आरोपी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाइकोर्ट ने मंगलवार को राहत दी है. इसका विरोध करने पीड़िता और उसकी मां दिल्ली पहुंची थीं. दिल्ली हाईकोर्ट ने कई शर्तों के साथ सेंगर की उम्रकैद की सजा को तब तक के लिए निलंबित कर दिया, जब तक कि सजा के खिलाफ अपील लंबित है.
इंडिया गेट पर लिया था हिरासत में
मंगलवार रात, पीड़िता, उसकी मां और वकील-कार्यकर्ता योगिता भयाना ने इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया था. वहां विरोध प्रदर्शन के दौरान पीड़िता की मां ने कहा था कि हम 9 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं. मैंने अपना पति खो दिया. पुलिस हमें डराती है और हमारे साथ बदसलूकी करती है. मेरा परिवार सुरक्षित नहीं है. इसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया था.
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मंडी हाउस में हुआ हंगामा
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार सुबह मां-बेटी ने मंडी हाउस में मीडिया से बात करने का प्लान बनाया. लेकिन सीआरपीएफ की बस मंडी हाउस पर नहीं रुकी. सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि फिर पीड़िता की मां बस के गेट पर पहुंच जाती हैं. इस दौरान सीआरपीएफ जवान उन्हें कोहनी मारते हैं और चलती बस से कूदने के लिए मजबूर करते हैं. चौंकाने वाली बात यह थी कि इस दौरान बस में कोई भी महिला सीआरपीएफ कर्मी मौजूद नहीं थी. जबकि वह बस पीड़िता और उसकी मां को ले जा रही थी. जवानों की ओर से लगातार धकेले जाने के बाद, मां चलती बस से सड़क पर कूद गई. पीड़िता बस में ही बैठी रहीं, उसे लेकर बस आगे निकल गई.
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बाद में मीडिया से बात करते हुए मां ने कहा, 'हमें न्याय नहीं मिला. मेरी बेटी को बंधक बना लिया गया है. ऐसा लगता है कि वे हमें मारना चाहते हैं. सीआरपीएफ के लोग लड़की को ले गए और मुझे सड़क पर छोड़ दिया. हम अपनी जान दे देंगे.'
क्या बोले राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, 'क्या एक गैंगरेप पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? क्या उसकी “गलती” ये है कि वो न्याय के लिए अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत कर रही है? उसके अपराधी (पूर्व BJP MLA) को ज़मानत मिलना बेहद निराशाजनक और शर्मनाक है - खासकर तब, जब पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया जा रहा हो, और वो डर के साए में जी रही हो. बलात्कारियों को ज़मानत, और पीड़िताओं के साथ अपराधियों सा व्यवहार - ये कैसा न्याय है? हम सिर्फ एक मृत अर्थव्यवस्था नहीं - ऐसी अमानवीय घटनाओं के साथ हम एक मृत समाज भी बनते जा रहे हैं. लोकतंत्र में असहमति की आवाज उठाना अधिकार है, और उसे दबाना अपराध। पीड़िता को सम्मान, सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए - न कि बेबसी, भय और अन्याय.'
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दिल्ली आई थीं प्रदर्शन करने
2017 में उन्नाव में 17 साल की किशोरी के साथ बलात्कार हुआ था. आरोप भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर लगाया गया था. इसके बाद उसे पार्टी से निकाल दिया गया. साल 2019 में उसे नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी पाया गया. साथ ही, पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में भी उसे दोषी ठहराया गया था. फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया. कोर्ट ने साथ ही सजा के खिलाफ अपील लंबित रहने तक उसे सशर्त जमानत दे दी. राहत की शर्तों में 15 लाख रुपये का मुचलका, दिल्ली में ही रहना, पीड़िता के घर के 5 किमी के दायरे में न आना और परिवार को नहीं डराना-धमकाना शामिल है. हालांकि, पीड़िता के पिता की मौत के मामले में मिली 10 साल की सजा की वजह से सेंगर अभी भी जेल में ही रहेगा.