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‘मैं नए अध्यक्ष की रेस में नहीं…’, तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष का पद क्यों छोड़ेंगे अन्नामलाई? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई नए अध्यक्ष की रेस में नहीं है। उन्होंने आज इसकी घोषणा करते हुए कहा कि वे नए अध्यक्ष की दौड़ में नहीं हैं। एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे।

Tamil Nadu BJP President K Annamalai
तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि वे नए अध्यक्ष की दौड़ में नहीं है। नए अध्यक्ष का चुनाव सभी लोग मिलकर करेंगे। उन्होंने कहा कि वे एक साधारण कार्यकर्ता की तरह अपना काम करते रहेंगे। सामने आया है कि तमिलनाडु में बीजेपी और एआईएडीमके एक बार फिर गठबंधन कर सकते हैं। ऐसे में जातिगत समीकरणों में फिट नहीं बैठने के कारण वे स्वयं ही पद छोड़ने की बात कह रहे हैं।

बीजेपी-एआईएडीएमके में हो सकता है गठबंधन

तमिलनाडु में बीजेपी को पहचान दिलाने वाले पूर्व आईपीएस और युवा नेता के अन्नामलाई ने कहा कि वे सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। बता दें कि पूर्व सीएम पलानीस्वामी ने कुछ दिनों पहले दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। तब से ही यह कयास लग रहे हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो सकता है। सूत्रों की मानें तो एआईडीएमके नेताओं ने शाह के सामने पहली शर्त यही रखी थी कि अन्नामलाई को बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना होगा। क्योंकि अन्नामलाई और पलानीस्वामी एक ही क्षेत्र और एक ही जाति से ताल्लुक रखते हैं। बता दें कि पलानीस्वामी और अन्नामलाई पश्चिमी तमिलनाडु की गौंडर जाति से आते हैं। ऐसे में नेतृत्व के स्तर पर मतदाताओं में कोई गफलत नहीं हो इसलिए यह फैसला लिया गया है। ये भी पढ़ेंः सरकार ने घटाई पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की पत्नी की सुरक्षा, गृह मंत्रालय ने लिया फैसला

अन्नामलाई ने शाह से की थी मुलाकात

पलानीस्वामी की इस मांग के बाद अन्नामलाई ने शाह से मुलाकात की थी। जिस पर शाह ने उनको आश्वस्त किया कि पार्टी उनके काम का सम्मान करती है लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में उनको कुछ फैसले लेने पड़ेंगे। यहीं बात आज अन्नामलाई ने भी दोहराई। उन्होंने कहा कि बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है और तमिलनाडु में भ्रष्टाचार में डूबी डीएमके को हराने के लिए पार्टी को कुछ फैसले लेने पड़ रहे हैं। खबर है कि पार्टी थेवर जाति से आने वाले नयनार नागेंद्रन, दलित नेता और केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और पूर्व राज्यपाल तिमिसलाई सुंदरराजन को यह पद सौंप सकती हैं। बता दें कि दोनों पार्टियों ने 2021 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव से पहले मतभेदों के चलते दोनों पार्टियों ने अपनी राहें अलग कर ली थी। ये भी पढ़ेंः मुस्लिमों की नाराजगी से JDU को कितना नुकसान, क्या बिहार चुनाव में होगा खेला?


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