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अलविदा स्वराज कौशल : जॉर्ज फर्नांडीस के केस ने दिलाई थी फेम, सबसे कम उम्र के बने थे राज्यपाल

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का गुरुवार को निधन हो गया. वह काई दिनों से बीमार चल रहे थे.

स्वराज कौशल ने सुषमा स्वराज से साल 1975 में शादी की थी.

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का निधन हो गया है. वरिष्ठ वकीलों में गिने जाने वाले स्वराज कौशल दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के पति थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके निधन की जानकारी दिल्ली भाजपा की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X दी गई. इस पोस्ट में कहा गया, "सांसद एवं प्रदेश मंत्री बांसुरी स्वराज जी के पिताजी स्वराज कौशल जी का आज 4 दिसम्बर, 2025 को निधन हो गया है. उनका अंतिम संस्कार आज 4 दिसम्बर, 2025 को सायं 4.30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जायेगा."

कौन थे स्वराज कौशल?

स्वराज कौशल ने एबीवीपी की कार्यकर्ता रहीं सुषमा स्वराज से साल 1975 में शादी की थी. दोनों ही पति-पत्नी कांग्रेस विरोधी राजनीति में सक्रिय रहे हैं.जहां सुषमा स्वराज आरएसएस बैकग्राउंड वाले परिवार से ताल्लुक रखती थीं, वहीं स्वराज कौशल के विचारों में समाजवाद दिखता थे. इनकी बेटी बांसुरी स्वराज भी नई दिल्ली सीट से भाजपा की सांसद हैं. स्वराज कौशल साल 1998 में राज्यसभा पहुंचे थे. इसके बाद साल 2000 में सुषमा स्वराज भी संसद के ऊपरी सदन में पहुंच गईं. फिर दोनों एक साथ दो साल तक राज्यसभा में रहे. कौशल का बतौर राज्यसभा सांसद 2004 में कार्यकाल खत्म हो गया था.

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सबसे कम उम्र के राज्यपाल

कौशल को उत्तर-पूर्व मामलों का बड़ा जानकार माना जाता था. उन्होंने अंडरग्राउंड मिजो लीडर लालडेंगा की रिहाई में भी अहम रोल निभाया था. कई राउंड की बातचीत के बाद उन्हें बाद मिजोरम शांति समझौता करवाया था. इस समझौते की वजह से 20 साल पुराने विद्रोह का खात्मा हुआ था.इस समझौते में अहम योगदान निभाने पर कौशल स्वराज को साल 1990 में मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था. उस वक्त ये देश के सबसे युवा राज्यपाल बने थे. इस पद पर वह तीन साल तक बने रहे.

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मात्र 34 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता भी नामित किया था. उनकी पत्नी, सुषमा स्वराज के नाम भी सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड है. सुषमा स्वराज को साल 1977 में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ने भी कानून की पढ़ाई की है.

जॉर्ज फर्नांडीस के केस ने दिलाई थी फेम

स्वराज कौशल इमरजेंसी के दौरान सुर्खियों में आए थे. उन्होंने समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडीस के लिए कोर्ट में केस लड़ा था. यह केस बड़ौदा डायनामाइट का था, जिसमें जॉर्ज फर्नांडीस का बचाव किया था. इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने जॉर्ज फर्नांडीस और 24 अन्य लोगों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकारी प्रतिष्ठानों और रेलवे पटरियों को उड़ाने के लिए डायनामाइट की तस्करी की थी. सरकार का आरोप था कि जॉर्ज फर्नांडीस ने ऐसा देश में सरकार को गिराने के लिए किया था. साल 1976 में कोलकाता में फर्नांडीस को गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. कोर्ट में इस मामले की पैरवी स्वराज कौशल ने की थी और जॉर्ज फर्नांडीस को बचा निकाले थे.

जब सामाजिक परंपराओं को दी चुनौती

स्वराज कौशल और सुषमा स्वराज ने मौके-मौके पर सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी है. जब सुषमा स्वराज का निधन हुआ था, उनकी इकलौती बेटी ने उनका अंतिम संस्कार किया था. इसके अलावा सुषमा ने भी अपने ससुर की इच्छा के मुताबिक, उनका अंतिम संस्कार किया था.

कैसे सुषमा से मिले थे कौशल?

सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल दोनों पंजाब यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई की थी. इस दौरान दोनों अच्छे दोस्त बन गए. पढ़ाई के बाद दोनों ने ही कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी. इसी दौरान जॉर्ज फर्नांडीस को इंदिरा गांधी सरकार ने जेल भेज दिया. जॉर्ज के केस के दौरान दोनों और ज्यादा करीब आ गए और एक दूसरे को समझने का मौका मिला. सुषमा के पिता RSS के नेता थे. शुरुआत में सुषमा स्वराज का परिवार लव मैरिज के लिए तैयार नहीं हुआ, लेकिन कुछ समय बादल मान गया. इसके बाद दोनों शादी के बंधन में बंध गए.


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