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Supriya Sule ने 143 सांसदों के निलंबन की तुलना Emergency से की, कहा- देश में लोकतंत्र की हुई हत्या

एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने सांसदों के निलंबन की तुलना इमरजेंसी से की। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।

Suspension of opposition MPs: एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने केंद्र पर साधा निशाना
Supriya Sule on Suspension of MPs: संसद के दोनों सदनों से सांसदों के निलंबन का मुद्दा बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की नेता सुप्रिया सुले ने इसे लेकर केंद्र पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। सुले भी निलंबित सांसदों में से एक हैं। इमरजेंसी से की सांसदों के निलंबन की तुलना सुप्रिया सुले भी निलंबित सांसदों में से एक हैं। उन्होंने सांसदों के निलंबन की तुलना इमरजेंसी से की। सुले ने कहा कि ऐसा लगता है कि देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया गया है। 'लोकतंत्र की हुई हत्या' एनसीपी नेता ने कहा कि सांसदों का निलंबन लोकतंत्र की हत्या है। यह संविधान का अपमान है। देश संविधान से चलता है। जिस तरह 143 सांसदों को निलंबित किया गया है. मैं उसकी कड़ी निंदा करती हूं। यह भी पढ़ें: क्या INDIA में असहज हैं नीतीश कुमार? बिहार में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से फंस सकता है पेंच, पढ़ें यह विश्लेषण सुप्रिया सुले ने कहा कि 20 दिसंबर को लोकसभा में 97 विपक्षी सदस्यों की गैर मौजूदगी में अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को बदलने के लिए तीन विधेयकों- भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक का पारित होना अलोकतांत्रिक है। 'हम पहले दिन से चर्चा के लिए तैयार थे' निलंबित सांसद ने कहा कि हम पहले दिन से ही चर्चा के लिए तैयार थे। मैं पहले दिन से सरकार से कह रही हूं कि आओ, बैठो और चर्चा करो, लेकिन हमें उससे पहले ही निलंबित कर दिया गया। यह भी पढ़ें: ‘प्रधानमंत्री को पॉकेटमार कहना ठीक नहीं…’; मोदी के लिए राहुल गांधी के बयान पर दिल्ली High Court की टिप्पणी 'हमें लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है' सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्षी सांसदों को को निलंबित करके महत्वपूर्ण कानूनों को पारित करना लोकतंत्र नहीं, बल्कि 'अधिनायकवाद' है। उन्होंने कहा कि हमें लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है। अगर हम इस तानाशाही के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तो हमारी आने वाली पीढ़िया हमें माफ नहीं करेंगी। गौरतलब है कि लोकसभा से 97 और राज्य सभा से 46 सांसदों को संसद सुरक्षा चूक मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर दवाब बनाने, दोनों सदनों में हंगामा करने और सदन की कार्यवाही में बाधा डालने पर निलंबित कर दिया गया।


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