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सुषमा स्वराज के पति का निधन, मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ एडवोकेट थे स्वराज कौशल

मिजोरम के पूर्व राज्य्पाल और सीनियर एडवोकेट स्वराज कौशल का निधन हो गया है. बता दें कि सुषमा स्वराज के पति और बांसुरी स्वराज के पिता हैं स्वराज कौशल. मिली जानकारी के अनुसार, आज 4.30 बजे दिल्ली के लोदी रोड क्रीमनेशन ग्राउंड में अंतिम संस्कार होगा.

बीजेपी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज के पति और मिजोरम के पूर्व राज्य्पाल, सीनियर एडवोकेट स्वराज कौशल का आज निधन हो गया है. वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. जानकारी के अनुसार, आज 4.30 बजे दिल्ली के लोदी रोड क्रीमनेशन ग्राउंड में अंतिम संस्कार होगा.

वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बीजेपी ने इसे लेकर एक पोस्ट शेयर किया है. जिसमें कहा गया है कि 'सांसद एवं प्रदेश मंत्री बांसुरी स्वराज जी के पिताजी स्वराज कौशल जी का आज 4 दिसम्बर, 2025 को निधन हो गया है. उनका अंतिम संस्कार आज 4 दिसम्बर, 2025 को सायं 4.30 बजे लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जायेगा.'

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37 साल की उम्र में बने थे राज्यपाल

सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल साल 1990 में महज 37 साल की उम्र में मिजोरम के गवर्नर बनाए गए थे. उस समय वे देश के सबसे युवा राज्यपाल बने थे. स्वराज कौशल 9 फरवरी 1993 तक मिजोरम के गवर्नर बने रहे. इसके अलावा सुषमा स्वराज भी देश की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री थीं.

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कैसा था स्वराज कौशल का राजनीतिक सफर?

स्वराज कौशल का राजनीतिक सफर भी बेहद शानदार था. मिली जानकारी के अनुसार, 1998 में स्वराज कौशल हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा सांसद चुने गए थे. 1998 से 2004 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे. वहीं, 1998-99 में सुषमा स्वराज लोकसभा में थीं तो वहीं दूसरी ओर स्वराज कौशल राज्यसभा में थे. इसके बाद साल 2000 से 2004 तक दोनों राज्यसभा सांसद रहे हैं.

इमरजेंसी के दौरान निभाई थी ये जिम्मेदारी

इमरजेंसी के दौर में स्वराज कौशल ने विपक्ष के प्रमुख नेताओं की कानूनी लड़ाई लड़ी. जॉर्ज फर्नांडीस सहित 25 लोगों पर लगाए गए बड़ौदा डायनामाइट केस के फर्जी मुकदमे में उन्होंने मजबूती से पैरवी की और आरोपियों को राहत दिलाई. उत्तर-पूर्व भारत के मामलों के वे गहरे जानकार थे. 1979 में अंडरग्राउंड मिजो नेता लालडेंगा की रिहाई में उनकी अहम भूमिका रही. बाद में वे मिजो नेशनल फ्रंट के संवैधानिक सलाहकार बने और केंद्र सरकार के साथ कई दौर की वार्ता के बाद 1986 में ऐतिहासिक मिजोरम शांति समझौता करवाया, जिसने 20 साल से चल रहे सशस्त्र विद्रोह का अंत किया. इसी योगदान के कारण बाद में उन्हें मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया.

कानूनी करियर भी रहा शानदार

कानूनी करियर में भी वे शीर्ष पर पहुंचे. दिसंबर 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया और महज एक साल बाद वे देश के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने. राजनीतिक रूप से वे समाजवादी खेमे के करीब रहे. दिलचस्प बात यह है कि ABVP की सक्रिय कार्यकर्ता और RSS नेता की बेटी सुषमा स्वराज से उनकी शादी 13 जुलाई 1975 को हुई थी. दोनों की विचारधाराएं अलग थीं, पर निजी जीवन में वे एक-दूसरे के पूरक बने. उनकी इकलौती बेटी बांसुरी स्वराज ऑक्सफोर्ड से पढ़ीं और बैरिस्टर हैं; आज दिल्ली हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं. लंबे सार्वजनिक जीवन के बावजूद स्वराज कौशल हमेशा लो-प्रोफाइल और गरिमामय रहे. उनकी शख्सियत में कानूनी कुशलता, साहस और संयम का दुर्लभ संगम था.


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