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उम्रकैद पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, क्या है नीतीश कटारा हत्याकांड और सुखदेव पहलवान का मामला?

Supreme Court Life Imprisonment: सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है, जिसके तहत आदेश दिया गया है कि उम्रकैद की अवधि पूरी होने के बाद सजायाफ्ता को रिहा किया जाए। नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव पहलवान की याचिका पर यह फैसला दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुखदेव पहलवान की याचिका पर फैसला दिया है।

Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उम्रकैद को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि अगर किसी दोषी को उम्रकैद की सजा एक तय अवधि के लिए होती है, जैसे 20 साल के लिए दी गई है, तो वह अवधि पूरी होने के बाद सजायाफ्ता व्यक्ति तत्काल रिहाई का हकदार है। अगर ऐसा नहीं होता है तो हर सजायाफ्ता की जिंदगी जेल में ही खत्म हो जाएगी।

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कौन है सुखदेव पहलवान?

बता दें कि 23 साल के नीतीश कटारा की हत्या मामले में सुखदेव पहलवान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके तहत सुखदेव पहलवान 20 साल जेल में बिता चुका है और मार्च 2025 में उसकी सजा पूरी हो चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को सुखदेव को रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन सजा समीक्षा बोर्ड ने जेल में उसके आचरण और व्यवहार का हवाला दिया और उसकी रिहाई पर रोक लगा दी। इस फैसले के खिलाफ सुखदेव पहलवान ने याचिका दायर की थी, जिस पर आज 12 अगस्त को अहम फैसला आया।

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क्या है नीतीश कटारा हत्याकांड?

बता दें कि 16 फरवरी 2002 की रात को बिजनेसमैन नीतीश कटारा की गाजियाबाद में हत्या की गई थी और शव को जला दिया गया था। हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास यादव और उसका चचेरा भाई विशाल यादव था। विकास यादव राजनेता डीपी यादव का बेटा है, इसलिए केस हाई प्रोफाइल था। नीतीश का अपहरण करके हत्या इसलिए की गई थी, क्योंकि उसके विकास की बहन भारती यादव के साथ प्रेम संबंध थे।

विकास ने एक शादी में नीतीश और भारती को साथ-साथ देख लिया था। नीतीश को सबक सिखाने की ठानकर विकास और विशाल ने नीतीश का अपहरण किया। वे उसे टाटा सफारी गाड़ी में जबरन डालकर ले गए और हथौड़े से पीट-पीट कर मार दिया। नीतीश का शव गाजियाबाद से 80 किलोमीटर दूर खुर्जा में अधजली हालत में मिला था। हत्याकांड में सुखदेव पहलवान ने भी अहम भूमिका निभाई थी।

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ऐसे चली केस की सुनवाई

नीतीश की हत्या को ऑनर किलिंग मानकर केस चलाया गया। नीतीश की मां नीलम कटारा ने FIR दर्ज कराई। विकास और विशाल को मध्य प्रदेश के डबरा से गिरफ्तार किया गया। तीसरा आरोपी सुखदेव पहलवान था। 30 मई 2008 को निचली अदालत ने विकास और विशाल यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सुखदेव पहलवान को भी उम्रकैद की सजा मिली।

2 अप्रैल 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। 6 फरवरी 2015 को विकास और विशाल की सजा बढ़ाकर बिना छूट के 25 साल के सश्रम कारावास की गई। 3 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने विकास और विशाल की 25 साल और सुखदेव पहलवान को 20 साल की सजा बरकरार रखी। 9 सितंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने नीलम कटारा की फांसी की सजा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।


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