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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि जब शादी टूट चुकी हो और उसमें समझौते की गुजाइंश नहीं और उसे संभाला नहीं जा सकता है, तो फिर तलाक में देरी का कोई मतलब नहीं है। यह भी कहा था कि हालात बदतर हो गए हों तो शादी खत्म करने के लिए आर्टिकल 142 के इस्तेमाल से कोर्ट को नहीं रोकना चाहिए।
अनुच्छेद 142 के बारे में
यहां पर बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्तियां प्राप्त हैं। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट आपसी सहमति से तलाक के इच्छुक पति-पत्नी को बिना फैमिली कोर्ट भेजे अलग रहने की इजाजत दे सकता है। इसके लिए 6 महीने का इंतजार भी जरूरी नहीं होगा।
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