रूस के रूष्ट्रपति पुतिन दो दिन के भारत दौरे पर आए थे. उनके सम्मान में राष्ट्रपति भवन में डिनर का आयोजन किया गया. डिनर के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं दिया गया. हालांकि, कांग्रेस सांसद शशि थरूर को जरूर इस डिनर के लिए न्योता दिया गया. इस बात को लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे लोकतंत्र और परंपरा के खिलाफ बताया था. शशि थरूर के डिनर में शामिल होने पर सियासी गलियारे में चर्चा गर्म होने लगी. चर्चा होने लगी कि क्या इसके लिए कांग्रेस पार्टी शशि थरूर के खिलाफ कोई एक्शन लेगी. वहीं, यह सवाल भी उठने लगा कि क्या शशि थरूर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होंगे.
डिनर के बारे में क्या बोला
एनडीटीवी ने शशि थरूर के हवाले से लिखा है, "मुझे लगता है कि कुछ वर्षों तक उनका रवैया अलग था. इस बार लगता है कि उन्होंने दूसरी आवाजों को सुनने के लिए थोड़ा और खुलना तय किया है. विदेशी देशों के साथ संबंधों को ही संसदीय स्थायी समिति देखती है. इसलिए क्या बातचीत हो रही हैं, कैसा माहौल है यह जानना थोड़ा मददगार होता है. इसी वजह से मैं यहां आकर बहुत खुश हूं." शशि थरूर ने बताया था कि उन्हें बतौर विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष इस डिनर का न्योता मिला था.
---विज्ञापन---
डिनर में शामिल होने पर शशि थरूर ने कहा "सच यह है कि अतिथि राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में भोज आयोजित करना एक शिष्टाचार है. राष्ट्रपति ने बहुत ही गरिमामय भाषण दिया. राष्ट्रपति पुतिन ने भी बदले में बहुत गर्मजोशी से जवाब दिया. बड़ी संख्या में रूसी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य, साथ ही कई वरिष्ठ भारतीय अधिकारी भी मौजूद थे. मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता. मैं निश्चित रूप से महसूस करता हूं कि हमारे जैसे लोकतंत्रिक देश में, विपक्षी नेता वहां हो सकते थे. यह एक अच्छी बात होती. मैं वहां संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप शामिल हुआ था."
---विज्ञापन---
पवन खेड़ा और जयराम रमेश समेत कई कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं दिए जाने पर सवाल उठाए थे. वहीं, जब शशि थरूर से इस पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि मुझे नहीं पता कि निमंत्रण किस आधार पर भेजे गए, लेकिन मुझे न्योता मिलने पर गर्व महसूस हो रहा है.
कांग्रेस नेताओं के बयान पर उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उनको जो बोलना था, उन्होंने वो बोल दिया और मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता. मुझे इस बात का खेद है कि उनमें से कुछ को आमंत्रित नहीं किया गया. यह शर्म की बात है कि ऐसा हुआ. लेकिन जहां तक मेरा सवाल है, मुझे नहीं लगा कि मेरे लिए अपने राष्ट्रपति के निमंत्रण को कबूल ना करना उचित होगा. खासकर जब विदेशी राष्ट्रपति के सम्मान में भोज आयोजित हो और मेरा काम विदेश मामलों के मुद्दों को देखना हो."
कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर क्या बोले?
जब थरूर से कांग्रेस छोड़ने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने बेहद नपा-तुला जवाब दिया. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि यह क्यों पूछा जाना चाहिए. मैं कांग्रेस पार्टी का सांसद हूं. मैंने सांसद बनने के लिए बहुत मेहनत की है. कुछ और बनने के लिए काफी विचार और दूसरी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है." साथ ही उन्होंने कहा कि वो अपने वोटर्स के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने भी साधा था सरकार पर निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गाधी ने गुरुवार को ही सरकार पर आरोप लगाया था कि विदेश से आने वाले नेताओं को मुझसे नहीं मिलने दिया जाता. उन्होंने कहा था कि परंपरा यह है कि विदेश से कोई भी नेता आता है तो वह नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात करता है. उन्होंने इसके लिए अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकार का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कि उनके कार्यकाल में ऐसा ही होता था. राहुल गांधी ने कहा कि अब कोई विदेश से नेता आता है तो उसे मुझसे मिलने के लिए मना कर दिया जाता है.