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हिंडनबर्ग के खुलासे पर क्या बोलीं माधवी बुच, पति ने भी दी सफाई, 2022 में बनीं SEBI की चेयरपर्सन

Hindenburg New Report on SEBI Chief: हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद कांग्रेस और टीएमसी ने सेबी प्रमुख के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। टीएमसी ने जहां माधवी बुच के इस्तीफे की मांग की है, वहीं कांग्रेस ने अडाणी के मामले में जांच के लिए जेपीसी की मांग दोहराई है।

सेबी प्रमुख माधवी बुच। फाइल फोटो
Hindenburg New Report on SEBI Chief: हिंडनबर्ग के खुलासे पर सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति ने सफाई दी है। पति-पत्नी की ओर जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि 'रिपोर्ट में लगाए गए आरोप और संकेत निराधार हैं। उनमें कोई सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय लेन-देन खुली किताब है।' दरअसल अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नई रिपोर्ट में शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच पर हमला बोला है। एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग ने सेबी चेयरपर्सन माधवी पर आरोप लगाया है कि अडाणी के निवेश वाले फंड में माधवी की भी हिस्सेदारी है। ये भी पढ़ेंः अडानी ग्रुप मामले में हिंडनबर्ग को SEBI ने भेजा 46 पेज का नोटिस, अमेरिकी फर्म का आरोप- पर्दे के पीछे से हो रही मदद हिंडनबर्ग का आरोप है कि अडाणी ग्रुप के खिलाफ बीते साल आई उसकी रिपोर्ट के 18 महीने गुजर जाने के बाद भी सेबी ने जांच में कोई रुचि नहीं दिखाई है। मॉरीशस में अडाणी ग्रुप के नेटवर्क की पूरी जानकारी देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। गुप्त दस्तावेज के हवाले से हिंडनबर्ग ने कहा है कि अदाणी की विदेश स्थित शेल कंपनियों में सेबी चेयरपर्सन और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी थी। इनका संचालन कथित तौर पर अडाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी करते हैं।

माधबी ने पति को ट्रांसफर किए शेयर

हिंडनबर्ग ने आरोपों में कहा है कि माधवी ने अपने शेयर पति धवल बुच को ट्रांसफर किए हैं। अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं। उनकी सिंगापुर में अंगोरा पार्टनर्स नाम से कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी हिस्सेदारी थी। 16 मार्च, 2022 को सेबी अध्यक्ष पद पर नियुक्त किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर पति के नाम ट्रांसफर कर दिए। ये भी पढ़ेंः हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अदाणी की जबरदस्त वापसी, फिर 100 अरब डॉलर के पार पहुंची नेटवर्थ माधवी और धवल बुच ने साझा बयान में कहा कि 'बीते वर्षों में सभी जरूरी दस्तावेज सेबी को दिए गए हैं। हमें सभी वित्तीय दस्तावेजों का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, जिसमें वे दस्तावेज भी शामिल हैं, जो उस अवधि से संबंधित हैं, जब हम पूरी तरह से निजी नागरिक थे, कोई भी अधिकारी उन्हें मांग सकता है। इसके अलावा, पूरी पारदर्शिता के लिए हम उचित समय पर एक विस्तृत बयान जारी करेंगे। संयुक्त बयान में कहा गया है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उसने जवाब में चरित्र हनन करने की कोशिश की है। माधवी पुरी बुच ने 1989 में आईसीआईसीआई बैंक से अपने करियर की शुरुआत की थी, 2011 में उन्होंने बैंक छोड़ दिया था और सिंगापुर की जनरल पैसिफिक कैपिटल को ज्वॉइन किया था। 2011 से 2017 के दौरान उन्होंने अलग-अलग भूमिकाओं में काम किया। 2017 में वह सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनीं और मार्च 2022 में उन्होंने चेयरपर्सन की जिम्मेदारी संभाली।

कांग्रेस और टीएमसी का हल्ला बोल

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अब पता चला कि संसद की कार्यवाही को तय समय से पहले ही क्यों स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस ने कहा है कि अडाणी मेगा स्कैम की पूरी जांच सिर्फ ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ही कर सकती है। हिंडनबर्ग के खुलासे लगातार इस बात की तस्दीक करते हैं। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि सेबी प्रमुख माधवी बुच को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि बुच के सेबी चेयरपर्सन बनने के बाद 2022 में गौतम अडाणी ने दो बार मुलाकात की थी, इससे नए सवाल खड़े होते हैं।


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