Sabse Bada Sawal: किसान नाराज…एक और आंदोलन का आगाज? देखिए VIDEO
Sabse Bada Sawal: नमस्कर। मैं संदीप चौधरी। आज के सबसे बड़े सवाल की शुरुआत एक उदाहरण से करते हैं। फर्ज कीजिए... आपने 30 रुपए का कोई सामान खरीदा। लेकिन आपको पता लगे कि ये चीज जिसने बनाई, उसे मिल रहा है महज एक रुपए या दो रुपए। तो आपके जेहन में पहला सवाल क्या आएगा?
अगर ये चीज एक या दो रूपए में तैयार हो सकती है तो क्या मुझे पागल कुत्ते ने काटा है? जो 30 रुपए में खरीदूंगा। ये कौन सी अर्थव्यवस्था है? ऐसा ही कुछ किसानों के साथ हो रहा है। क्यों?
अन्नदाता का हो रहा अपमान
किसान को उसकी उपज की जो कीमत मिल रही है, वह भद्दा मजाक है। किसान को अन्नदाता कहते हैं, लेकिन उनका अपमान किया जा रहा है। महाराष्ट्र में किसान कूच कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नासिक से मुंबई वे 20 मार्च को पहुंचेंगे। राजेंद्र तुकाराम, ये किसान है। वह 512 किलो आलू लेकर बाजार गया, अब उसे दो रुपए मिलेंगे...ऐसा क्यों?
शायद इसीलिए किसान मजबूर होकर प्याज की फसल को जला रहे हैं। प्याज का दहन कर रहे हैं। लेकिन अभी कुछ नहीं बदला है। ये बात सिर्फ प्याज की नहीं है।
आलू सड़ रहा, डेढ़ रुपए भी लागत नहीं मिल रही
बिहार में बेगुसराय और समस्तीपुर में आलू किसानों का क्या हाल है? आलू का बीज 1500 रुपए प्रति क्विंटल। दाम मिल रहे हैं 400 रुपए प्रति क्विंटल। उस पर ढाई सौ रुपए भाड़ा अलग से। डेढ़ रुपए भी किसानों को नहीं मिल रहा है। आलू सड़ रहा है।
यूपी में भी यही हाल है। तीन सौ से चार सौ रुपए प्रति बोरी किसानों को मिल रहे हैं। लेकिन क्या किसान को पूरा पट जाता है। हरियाणा में एक-दो रुपए मिल रहे हैं। पंजाब में भी यही हाल है।
1457 किलो बैंगन किसान छत्तीसगढ़ में मंडी लेकर गया, उसे जेब से 131 रुपए और देने पड़ गए। ये कौन सी मेहनत की माकूल कीमत है। किसानों के सामने दिक्कतें क्या-क्या हैं?
- लागत बढ़ रही है।
- डीजल के दाम में आग लगी है।
- बीज के दाम बढ़ गए, खाद के दाम बढ़ गए।
- कृषि के उपक्रमों पर जीएसटी लगाए जा रहे हैं।
- 27 रुपए प्रतिदिन कमाने पर मजबूर है।
- कर्जा दोगुना होता जा रहा है। प्रति किसान 47 हजार से बढ़कर 74 हजार रुपए हो गया है।
आधारभूत ढांचा कौन बनाएगा?
किसानों के सरकार फल सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित करती है, कहती है कि इससे ज्यादा मुनाफा होता है। लेकिन घाटा भी सबसे अधिक होता है।
किसान उचित दाम के लिए फसल को रोक भी ले तो भंडारण की व्यवस्था ठीक नहीं है। आधारभूत ढांचा कौन बनाएगा, इसकी जिम्मेदारी किसकी है?
आइए जानते हैं महाराष्ट्र में किसानों की मांग क्या है? स्थाई समाधान क्या है? क्या कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के बाद एक और आंदोलन का आगाज होने वाला है? वीडियो देखिए....
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