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Sabse Bada Sawal, 20 March 2023: सरकार-किसानों की मुलाकात, बनी कोई बात? किसानों के अच्छे दिन आएंगे?

Sabse Bada Sawal, 20 March 2023: नमस्कर…मैं हूं संदीप चौधरी। आज मैं सबसे बड़े सवाल में बात करूंगा मेहनत के माकूल कीमत की, यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की। किसानों के अच्छे दिन की। ये चर्चा क्यों? क्योंकि आज सोमवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर किसान जुटे। 32 किसान संगठनों के […]

Sabse Bada Sawal, 20 March 2023: नमस्कर...मैं हूं संदीप चौधरी। आज मैं सबसे बड़े सवाल में बात करूंगा मेहनत के माकूल कीमत की, यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की। किसानों के अच्छे दिन की। ये चर्चा क्यों? क्योंकि आज सोमवार को राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर किसान जुटे। 32 किसान संगठनों के लोग रामलीला मैदान में आए। अपनी आवाज एक बार फिर सरकार तक पहुंचाने के लिए। और आज एक अजूबा भी हुआ, जो दो साल दो महीने तक नहीं हुआ था। सरकार ने किसानों से जो बातचीत के लिए सारे दरवाजे बंद रखे थे, वे सभी आज खुलते दिखे।

नवंबर 2020 में हुई थी किसान आंदोलन की शुरुआत

नवंबर 2020 में किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी। किसान दिल्ली की तरफ आए, लेकिन उन्हें बॉर्डर पर रोक दिया गया। किन-किन संज्ञाओं का इस्तेमाल हुआ, उनकी डिटेल तक मैं नहीं जाना चाहता। क्योंकि आप जानते हैं। आंदोलन के शुरुआती दौर में बातचीत भी हुई।

22 जनवरी 2021 को हुई थी आखिरी बातचीत

सरकार और किसानों के बीच लड़ाई उस वक्त तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने की थी। 12 दौर बातचीत हुई। 22 जनवरी 2021 ये आखिरी तारीख थी, जब सरकार और किसानों के बीच बात हुई। उसके बाद कोई संवाद नहीं हुआ। फिर विवाद बढ़ता गया।

पीएम को करने पड़े तीनों कानून रद्द

आखिरकार 19 नवंबर 2021 को पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की। फिर संसद में इसे बकायदा औपचारिक तरीके से प्रक्रिया के तहत कानूनों को वापस ले लिया गया। किसानों की घर वापसी भी हुई। लेकिन उसमे एक बड़ी शर्त थी। वो शर्त थी न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी जामा पहनाया जाए।

18 जुलाई को बनाई गई एमएसपी समिति

सरकार ने कहा कि हम एमएसपी को प्रभावी बनाने के तरीके निकालेंगे, फिर उसके आठ महीने के बाद सरकार ने 18 जुलाई को एक समिति बनाई। जिसे एमएसपी समिति कहते हैं, लेकिन वो कृषि की है। जीरो बजटिंग, वैकल्पिंग खेती वगैरह की बात समिति में है। उसमें एमएसपी का हलका फुलका जिक्र है।

10 महीने बीते, एमएसपी पर कोई बात नहीं

22 अगस्त 2022 को इस पर बातचीत भी हुई, लेकिन मार्च आ गया है। 10 महीने बीत चुके हैं। लेकिन मेहनत की माकूल कीमत किसानों को मिले, वह राह वो दरवाजा खुलता नहीं दिख रहा है। तो सरकार-किसानों की मुलाकात, बनी कोई बात? किसानों के अच्छे दिन आएंगे? देखिए पूरा वीडियो यह भी पढ़ें: Mamta vs Congress: ममता बनर्जी ने राहुल गांधी पर कसा तंज, कांग्रेस का पलटवार, जानें किसने क्या कहा?


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