Sabse Bada Sawal, 31 March 2023: राहुल पर विदेशी दखल या राजनीतिक खलल, तारीफ हो तो यारी….आलोचना पड़ जाती है भारी? देखिए बड़ी बहस
Sabse Bada Sawal, 31 March 2023: नमस्कार...मैं हूं संदीप चौधरी। आज मैं सबसे बड़ा सवाल में बात करूंगा विदेशी दखल की और राजनीतिक खलल की। आज जिस हम युग में जी रहे हैं, उसके बारें में कहा जाता है कि पूरी दुनिया ही मेरा घर है। टेक्नोलॉजी अब बहुत विकसित है। खबर पर दुनिया की बंदिशें नहीं है। दुनिया की खबरें आपके पास रियल टाइम में पहुंच जाती है। तो चर्चा की नौबत क्यों आई?
चर्चा इसलिए कि राहुल गांधी पिछले कई दिनों से राजनीति के केंद्र में है। राहुल गांधी को सजा हुई, संसद की सदस्यता गई और बंगला भी छिन गया। अभी अपील को लेकर 30 दिन का समय है। गिरफ्तारी पर भी रोक है।
जर्मनी ने कहा- हम नजर बनाए हुए हैं
इस बीच जर्मनी का एक बयान आया। जर्मनी ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ जो कार्रवाई हो रही है, उस पर नजर बनाए हुए हैं। जो हमें जानकारी मिली है कि वे इसके खिलाफ अपील कर सकते हैं। इससे साफ हो जाएगा कि फैसला सही था या गलत था। हम उम्मीद करते हैं कि न्यायिक स्वतंत्रता, प्रजातांत्रिक सिद्धांत लागू होंगे। अमेरिका ने भी इस तरह के बयान दिए हैं। लेकिन खेल क्या हुआ?
दिग्विजय सिंह अवतरित हुए, फिर चौतरफा घिरी कांग्रेस
जर्मनी के बयान पर कांग्रेस दिग्विजय सिंह अवतरित हुए। उन्होंने कहा कि धन्यवाद जर्मनी, ध्यान देने के लिए कि भारत में किस तरह से लोकतंत्र का उत्पीड़न हो रहा है। जब धन्यवाद दे दिया तो बीजेपी ने चौतरफा हमले शुरू कर दिए। किरेन रिजिजू ने कहा कि थैंक्यू राहुल गांधी। आपकी वजह से अंदरूनी मामलों में अब हस्तक्षेप हो रहा है। भारत विदेशी दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस को प्रजातांत्रिक, लोकतांत्रिक और कानूनी लड़ाई पर विश्वास नहीं है। निर्मला सीतारमण ने भी निशाना साधा। खुद को घिरता देख अब कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। सामने आए जयराम रमेश। उन्होंने कहा कि खतरों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से हमें निपटना आता है।
मीठा मीठा गप-गप और कड़वा कड़वा थू-थू
लेकिन राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई है। अब यहां देश की संप्रभुता का सवाल आता है। वसुधैव कुटुंकम है तो हम ये बताना भी नहीं भूलते कि देखो दुनिया मान रही है कि हम सबसे तेजी से विकास दर करने वाले देश हैं। भारत का भविष्य उज्ज्वल है। एक कहावत है कि मीठा मीठा गप और कड़वा कड़वा थू-थू। दिग्विजय सिंह ने जो कहा वो बिलकुल गलत है। लेकिन क्या देश के वित्त, आईटी मंत्री आंखें तरेरेंगे। उन्होंने जर्मनी को क्यों नहीं जवाब दिया। क्यों नहीं जर्मनी के एंबेसडर को बुलाया जाता है? क्या राजनीतिक सुविधा भी है या राजनीतिक खुदकुशी है?
हमने यह भी देखा कि अमेरिका जाकर अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा दिया गया था। हाल ही में तीन मार्च को इटली की प्राइम मिनिस्टर मेलोनी ने कहा कि पीएम मोदी दुनिया के लोकप्रिय नेताओं में से एक है। तो हमें अच्छा लगता है। तो ये अच्छे बुरे खेल में राजनीति में एक और अध्याय और जुड़ गया है। आने वाले दिनों में इसकी गूंज और सुनाई देनी वाली है?
तो आज का बड़ा सवाल है कि राहुल पर विदेशी दखल या राजनीतिक खलल? तारीफ हो तो यारी....आलोचना पड़ जाती है भारी? देखिए बड़ी बहस...
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