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Sabse Bada Sawal, 13 April 2023: अमीर और अमीर…. गरीब और गरीब क्यों, सरकार… महंगाई-बेरोजगारी पर कब होगा वार? देखिए बड़ी बहस

Sabse Bada Sawal, 13 April 2023: नमस्कार…मैं हूं संदीप चौधरी। भ्रष्टाचार पर वार हो रहा है, माफियाओं पर भी वार हो रहा है। आज तो तमाम सुर्खियां ही इसी पर हैं। लेकिन इन्हीं चर्चाओं के बीच सवाल खड़ा होता है कि युवाओं की चर्चा कब होगी? बेरोजगारी और महंगाई पर वार कब होगा? मानो ऐसी कोई […]

Sabse Bada Sawal, 13 April 2023: नमस्कार...मैं हूं संदीप चौधरी। भ्रष्टाचार पर वार हो रहा है, माफियाओं पर भी वार हो रहा है। आज तो तमाम सुर्खियां ही इसी पर हैं। लेकिन इन्हीं चर्चाओं के बीच सवाल खड़ा होता है कि युवाओं की चर्चा कब होगी? बेरोजगारी और महंगाई पर वार कब होगा? मानो ऐसी कोई समस्या देश में रह ही नहीं गई है। राहुल गांधी ने आज एक ट्वीट किया और कहा कि गरीब तबके की आमदनी 50 फीसदी घटी है। मध्यमवर्ग की आमदनी 10 फीसदी घटी है। जबकि अमीर वर्ग की आमदनी 40 फीसदी बढ़ी है। अब चाहे महंगाई-बेरोजगारी जनता को कितना भी तड़पाए, सूट-बूट सरकार का एक ही टारगेट है मित्रों की तिजोरी भरती जाए। और पढ़िए – US India Together: अमेरिका के राजदूत बनकर भारत पहुंचे Eric Garcetti, ऑटो में बैठकर आए दूतावास; देखें वीडियो राहुल गांधी के ट्वीट की हकीकत क्या है?
अब यह अपने आप में एक राजनीतिक बयान है पर इसकी हकीकत क्या है? ये जो दावे राहुल गांधी ने किए हैं ये 2016 से 2021 के बीच की स्थिति बताई गई है। "पीपल्स रिसर्च इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी" नामक एक एनजीओ ने अपने रिसर्च में ऐसा पाया है। मैंने इन आंकड़ों की तुलना सरकार के आंकड़ों से की। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 50 फीसदी लोगों की सालाना आय 53,610 रुपए है। यानी देश की 50 फीसदी आबादी महीने में 5000 से भी कम कमाती है। 10 फीसदी लोगों की सालाना कमाई 11 लाख 66 हजार रुपए है और 1 फीसदी लोगों की संपत्ति 63 लाख 50 हजार है। मिडिल क्लास की 7 लाख 23 हजार है। इसे RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भी कोट किया था। 1 फीसदी लोगों के पास देश के 22 फीसदी संपत्ति है। जबकि 10 फीसदी लोगों के पास देश की 57 फीसदी संपत्ति है और जो 50 फीसदी निम्नतम तबका है उसके हिस्से आती है केवल 13 फीसदी।

क्या K शेप में बढ़ रही आमदनी?

देश ने कोरोनाकाल को झेला है। उसमें आमदनी गिर गई थी, हम घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे और फिर जब हम कोरोना को हराने में कामयाब हो गए तो अर्थव्यवस्था खुली और तमाम दिग्गज आए, जिन्होंने कहा V-शेप रिकवरी होगी। जैसे नीचे गिरे थे वैसे ही ऊपर जाएंगे। कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन वास्तव में क्या V-शेप की बजाए K-शेप रिकवरी हुई है? K-शेप का मतलब समझते हैं ना? मतलब ऊपर वाले और ऊपर चले गए, नीचे वाले और नीचे आ गए। हमने देखा है इस देश में कोरोनाकाल के बाद खरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 166 पहुंच गई। लेकिन गरीब और गरीब होता चला गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही 2021 में एक करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी चली गई।

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या

तो क्या जब हम विश्व गुरु बनने की बात करते हैं और कहते हैं कि हम विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और सबसे तेज दौड़ने वाली हमारी विकास दर है। ऐसे में भी क्या गरीब और गरीब ही होता जा रहा है, क्योंकि उनके पास नौकरी भी नहीं है। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है और उसमें छौंक लगाने के लिए महंगाई डायन पीछे नहीं हट रही। जो बेरोजगारी की दर है वह तो 8 फीसदी के आसपास चल ही रही है।

दावा महंगाई कम, मगर दिखती क्यों नहीं?

ताजा आंकड़े के अनुसार 5.66 फीसदी पर आ गई महंगाई, पर जब हम जमीन पर उतरते हैं तो देखते हैं कि न ही पेट्रोल-डीजल के दाम घटे हैं न ही गैस के और ना ही रोजमर्रा की वस्तुओं के। महंगाई कम करने के नाम पर ब्याज दरें जरूर बढ़ा दी गई हैं। बैंक से पैसे उतने ही कट रहे हैं लेकिन मियाद बढ़ गई है। तो क्या ये महंगाई- बेरोजगारी की चर्चा आज गैरजरूरी हो गई है। इसी पर होगा आज का सबसे बड़ा सवाल। अमीर और अमीर.... गरीब और गरीब क्यों? सरकार... महंगाई-बेरोजगारी पर कब होगा वार? देखिए बड़ी बहस...
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