Revanth Reddy Telangana Chief Minister: रेवंत रेड्डी का तेलंगाना के मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके नाम पर हाईकमान ने मुहर लगा दी है। वे 7 दिसंबर को तेलंगाना में ही मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। कांग्रेस की ओर से इसका आधिकारिक ऐलान कर दिया गया है। हालांकि प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता उत्तम कुमार रेड्डी और भट्टी विक्रमार्क ने भी दावेदारी जताई है, लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के रूप में आलाकमान की पहली पसंद भी रेवंत ही हैं। वहीं बाकी दो दावेदारों को हाईकमान ने डिप्टी CM या कोई और बड़ा अच्छा पोर्टफोलियो ऑफर कर सकती है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पहली चॉइस रेवंत रेड्डी ही हैं।
कांग्रेस ने पहली बार बहुमत से जीता चुनाव
दरअसल, तेलंगाना बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने प्रदेश में अपना खाता खोला है, वह भी बहुमत के साथ। 119 विधानसभा सीटों वाले तेलंगाना में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 64 सीटें जीती। 8 सीटें भाजपा को मिलीं, वहीं 15 सीटें अन्य को मिलीं। भारत राष्ट्र समिति (BRS) का 9 साल पुराना किला ध्वस्त हो गया। हालांकि पार्टी के स्टार कैंडिडेट मोहम्मद अजहरुद्दीन जुबली हिल्स विधानसभा से चुनाव हार गए, लेकिन कांग्रेस अपना सरकार रूपी नया किला बनाएगी। चुनाव परिणामों की घोषणा होते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री की चर्चा शुरू हो गई थी और दावेदारों की रेस में रेवंत रेड्डी ही सबसे आगे चल रहे थे।
कौन हैं रेवंत रेड्डी और उनकी निजी जिंदगी?
रेवंत रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। 8 नवंबर 1969 को आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले में कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर अनुमुला रेवंत रेड्डी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी है। मां का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है। रेवंत हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से संबद्ध AV कॉलेज से ग्रेजुएट हैं। रेवंत ने प्रिंटिंग प्रेस भी खोली थी। रेवंत ने 7 मई 1992 को वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी अनुमुला गीता से शादी की। रेवंत का एक भाई एनुमुला कृष्णा रेड्डी है। रेवंत की बेटी का नाम निमिषा रेड्डी है। रेवंत छात्र नेता के रूप में राजनीति से जुड़े।
ABVP से जुड़कर राजनीति में आए रेवंत रेड्डी
रेवंत ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का सदस्य बनकर राजनीतिक करियर शुरू किया। 2006 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा। वे मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रीय समिति सदस्य बने। इसके बाद वे चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी से जुड़ गए। 2009 में आंध्र प्रदेश के कोडांगल से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। 2014 में तेलंगाना विधानसभा से चुनाव जीते। 2017 में TDP छोड़ कांग्रेस से जुड़े। 2018 में TRS उम्मीदवार से हार गए। पार्टी ने 2019 में मलकाजगिरि से लोकसभा चुनाव लड़ाया और वे जीत गए। 2021 में कांग्रेस ने उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया।
लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel
मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदार क्यों बने?
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस का फेस बने रहे। राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हर रैली में नजर आए। जनता में भी काफी लोकप्रिय हैं। भीड़ जुटाकर पार्टी के लिए समर्थन जुटाया। जुझारू विपक्षी नेता के रूप में मजबूत छवि बनाई। KCR के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाया। 20 साल से राजनीति कर रहे। पिछले 15 साल से विपक्ष में हैं।