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Ayodhya Ram Mandir: खास घी से हुआ रामलला का स्नान, हैरान रह जाएंगे खासियतें जानकर

Ayodhya Ram Mandir Pran Prathistha: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में खास घी का इस्तेमाल हुआ, जो राजस्थान से आया है। करीब 600 किलो घी है, जानें इसकी खासियतें...

राम मंदिर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में बेहद खास घी इस्तेमाल होगा।
Ram Lalla Pran Pratishtha With Special Ghee: अयोध्या के राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के बाद गर्भगृह में प्रधानमंत्री समेत 5 लोगों ने रामलला में प्राण शक्ति का आह्वान किया। इस दौरान रामलला का स्नान एक खास घी से किया गया। इसी खास घी से रामलला के लिए भोजन बना और भोग लगाया गया। इसी खास घी से रामलला की पहली आरती की गई। अखंड जोत जलाई गई। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के तहत चल रहे 9 कुंडीय यज्ञ में इसी खास घी का इस्तेमाल हुआ, लेकिन यह खास घी कहां से आया और इसमें ऐसा है क्या, जो इसके बेहद खास होने का दावा किया गया, आइए जानते हैं...

राजस्थान के जोधपुर की बनाड़ गौशाला का घी

न्यूज24 की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पेशल घी राजस्थान के जोधपुर की बनाड़ गौशाला से आया है। गौशाला चलाने वाले संत महर्षि सांदीपनि महाराज 5 बैलगाड़ियों पर 108 कलशों में करीब 600 किलो घी लेकर आए हैं। यह घी एक ऐसी गाय ने दिया है, जिसे कामधेनु कहा जा सकता है, क्योंकि वह गाय 6 साल की हो गई और 17 महीने की उम्र से घी दे रही है। इससे भी खास बात यह है कि यह गाय आज तक ब्याही नहीं गई है। वहीं इस घी को पिछले 9 सालों से इकट्ठा किया जा रहा है। इस घी को खुद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने चखा और इसे राम मंदिर भिजवाने का आदेश दिया और वे 600 किलो घी लेकर अयोध्या आ गए।  

राम मंदिर में अखंड जोत इसी घी से जलेगा

संत महर्षि सांदीपनि ने बताया कि राम मंदिर में जो अखंड जोत जलेगी, वह इसी घी से जलेगी। संकल्प लिया गया है कि जब तक बनाड़ गौशाला रहेगी, उसके घी से अखंड जोत जलती रहेगी। 27 नवंबर 2023 को वे घी बैलगाड़ियों में लेकर पदयात्रा पर रवाना हुए थे। इस घी को बनाने में 5 प्रकार की औषधियां इस्तेमाल की गई हैं, ताकि घी काफी समय तक जैसा है वैसा रहे। इस घी को पहले मटकों में भरा गया। उससे लीक हो रहे घी को स्टील के कलशों में भरा गया। सभी 108 कलशों को लेकर वे 7 दिसंबर को अयोध्या पहुंचे और अयोध्या की परिक्रमा कराकर कलशों को ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंप दिया गया। अब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े सभी अनुष्ठानों में इसी घी का इस्तेमाल किया जा रहा है।  


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