Ram Mandir Inauguration Ayodhya Uttar Pradesh by PM Modi What is Pran Pratishtha of Ramlala: एक दिन बाद ही अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसके लिए कई तरह के अनुष्ठान पहले ही शुरू हो चुके हैं। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में भगवान राम की विधिवत पूजा की जाएगी। ऐसे में बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि यह प्राण प्रतिष्ठा होती क्या है और इसे क्यों किया जाता है। उस दिन क्या-क्या होगा। आखिर 22 जनवरी को यह पूजा क्यों होने जा रही है और इसका क्या महत्व है।
वैदिक धर्म में मंदिरों में मूर्तियों को स्थापित करने के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म का एक अनुष्ठान है और इसके बिना मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं की जा सकती है। प्राण प्रतिष्ठा में प्राण शब्द का अर्थ होता है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा शब्द का अर्थ है स्थापना। मतलब मूर्ति में जीवन शक्ति की स्थापना। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी प्रतिमा को जीवित करना या उसमें प्राण डालना। प्राण प्रतिष्ठा में भगवान की मूर्ति में प्राण शक्ति का संचार किया जाता है।
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22 जनवरी को अनुष्ठान के बाद रामलला की आंखों पर बंधी पट्टी को उतार दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें आइना दिखाया जाएगा जिसमें रामलला अपना चेहरा देखेंगे। प्रतिमा को गंगाजल और सरयू नदी के जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद उसे पोंछकर नए कपड़े पहनाए जाएंगे और चंदन का तिलक लगाकर श्रृंगार किया जाएगा।
बहुत ही असाधारण कार्य है प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा एक पत्थर की मूर्ति को ईश्वरीय रूप दे देती है। यानी उसमें भगवान का वास हो जाता है। प्राण प्रतिष्ठा का कार्य बहुत ही असाधारण है और इस दौरान पुजारी वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अनुष्ठान करते हैं। कई वैदिक मंत्रों का उद्घोष किया जाता है। मंत्रों से मूर्ति में विराजित होने के लिए भगवान का आह्वान किया जाता है। इसके अंतिम चरण में मूर्ति की आंखों से पट्टी हटाई जाती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को भगवान के रूप में पूजा जाता है।
मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास ने क्या बताया
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने राम मंदिर की 'प्राण प्रतिष्ठा' अनुष्ठान के बारे बताया कि बनी हुई प्रतिमा में साक्षात परमात्मा की सारी शक्तियां समाविष्ट हो जाएं। यह हमारे वेदों में वर्णित मंत्रों के द्वारा किया जाता है। यह इसलिए होती है कि परमात्मा की शक्ति इस मूर्ति में आ जाए। परमात्मा के स्वरूप में विराजमान इस प्रतिमा के हम दर्शन करें तो इससे हमें फल मिलेगा जो साक्षात परमात्मा की तपस्या करने से फल मिलता है। भगवान राम की सारी शक्तियां इसमें समाविष्ट हो जाएं। यह 17 जनवरी से शुरु हुआ और 22 जनवरी को समाप्त होगा।
रामलला की मूर्ति गर्भगृह में विराजमान
बता दें कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अयोध्या में युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही हैं। देश की कई जानी मानी हस्तियां इस कार्यक्रम में शामिल होंगी। सभी को इस दिन का बेसब्री से इंतजार है। रामलला की मूर्ति की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। रामलला की मूर्ति को गर्भगृह में विराजमान किया जा चुका है। देशभर से हजारों की संख्या में रामभक्त अयोध्या पहुंचने वाले हैं।
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