TrendingPollutionLionel MessiGoa

---विज्ञापन---

राजीव चंद्रशेखर को केरल बीजेपी अध्यक्ष बनाने के पीछे क्या मायने?

पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर केरल बीजेपी के नए अध्यक्ष होंगे। इसको लेकर आज पार्टी के सम्मेलन में इसकी घोषणा हो सकती है। ऐसे में आइये जानते हैं केरल में नए बीजेपी अध्यक्ष बनाने के क्या मायने है?

Rajiv Chandrashekhar
केरल में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में काफी अर्से के बाद पहली चुनावी जीत दर्ज की। इसके बाद पार्टी का पूरा जोर राज्य में बीजेपी के विस्तार पर है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करके फायदा लिया जाए। इसके अलावा हिंदू और ईसाई वोट को एक साथ किया जाए। केरल बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में प्रदेश प्रभारी प्रकाश जावडे़कर और लोकसभा सांसद अपराजिता सारंगी भी मौजूद थे। सूत्रों की मानें तो राजीव चंद्रशेखर को अध्यक्ष बनाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। अब पार्टी हाईकमान की हरी झंडी का इंतजार है।

आज हो सकती है घोषणा

बीजेपी हाईकमान की सहमति के बाद पार्टी के चुनाव के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी आज इसकी घोषणा कर सकते हैं। राजधानी तिरुवनंतपुरम के कौडियार में उदय पैलेस कन्वेंशन सेंटर आज पार्टी का सम्मेलन होगा। इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान में चंद्रशेखर ने कहा कि उन्हें कोर कमेटी की बैठक में सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ है। यह उनके लिए बेहद सम्मान की बात है। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के नेताओं को धन्यवाद भी कहा। ऐसे में आइये जानते हैं राजीव चंद्रशेखर को बीजेपी अध्यक्ष बनाने के क्या मायने हैं?

बीजेपी का जोर गठबंधन पर

राजीव चंद्रशेखर ने लोकसभा चुनाव 2024 में तिरुवनंतपुरम सीट से तीन बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को कड़ी टक्कर दी थी। वे शशि थरूर से करीबी मुकाबले में 60 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। उनके प्रदर्शन ने बीजेपी को प्रभावित किया था। उनको अध्यक्ष बनाकर पार्टी की रणनीति है कि ईसाई वोट को एकजुट किया जाए। इसके अलावा पार्टी वहां के क्षेत्रीय क्षत्रप भारत धर्म जन सेना के साथ गठबंधन भी कर सकती है। ये भी पढ़ेंः दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में, किरेन रिजिजू बोले- यह चिंता का विषय

बीजेपी के निशाने पर ईसाई वोटर्स

केरल में ईसाई वोटर पांरपरिक तौर पर कांग्रेस का वोटर माना जाता है। केरल में ईसाई वोटर्स 19 प्रतिशत है। केरल में मुस्लिमों के बढ़ते प्रभाव के कारण ईसाई समाज चिंतित है। यूडीएफ और एलडीएफ दोनों गठबंधन ईसाई समाज की चिंताओं को अनदेखा कर रहे हैं। इसका फायदा बीजेपी उठाना चाहती है। इसके अलावा केरल बीजेपी इन दिनों गुटबाजी के दौर से गुजर रही है। पार्टी की रणनीति है कि गुटबाजी से बाहर निकलकर निकाय चुनाव और विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जाए।

युवाओं को साधना चाहती है पार्टी

बता दें कि केरल में आरएसएस का काभी अच्छा प्रभाव है। पार्टी की रणनीति है कि आरएसएस के सहयोग से राज्य में चुनावी सफलता हासिल की जाए। लोकसभा चुनाव में पार्टी सभी सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। जोकि दोनों गठबंधनों के लिए खतरे की घंटी थी। ऐसे में चंद्रशेखर की उद्यमी छवि के जरिए बीजेपी युवाओं में भी अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है। ये भी पढ़ेंः जम्मू-कश्मीर के कठुआ में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, 5 आतंकी को घेरा


Topics:

---विज्ञापन---