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एक राज्य, जहां महिला आरक्षण पहले से लागू, नो पॉलिटिकल बैकग्राउंड, फिर भी 4 महिलाएं राजनेता

Rajasthan Womens Reservation Bill: देश में महिला आरक्षण बिल 2023, नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पास हो गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगा। इसके बाद राजनीति में महिलाओं की और ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी। देश की संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी, […]

Sarita Gena, Kavita Joshi, Vandana Nogia, Chhavi Rajawat
Rajasthan Womens Reservation Bill: देश में महिला आरक्षण बिल 2023, नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल पास हो गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगा। इसके बाद राजनीति में महिलाओं की और ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित हो जाएगी। देश की संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक राज्य ऐसा है, जहां पहले से महिला आरक्षण लागू है। कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं होने के बावजदू वहां की महिलाएं राजनीति में सक्रिय हैं। राज्य में पंचायत और निकाय चुनावों में महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते कोई महिला सरपंच है तो कोई पार्टी में ऊंचे पद पर है। यह भी पढ़ें: देश को मिली 9 Vande Bharat ट्रेनें, क्या आपका शहर भी लिस्ट में शामिल, जानें रूट और फायदे

राजस्थान में पंचायत-निकायों में महिला आरक्षण

दिसंबर 1992 में 73वां और 74वां संविधान संशोधन हुआ, जिसके तहत केंद्र सरकार ने पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव में महिला आरक्षण देने का प्रावधाना किया। कई राज्यों ने इसे 1993 में ही लागू कर लिया। राजथान में 1994 में पंचायती राज अधिनियम बनाया, जिसमें राज्य सरकार ने संविधान संशोधन के प्रावधानों को भी लागू कर दिया। इसके बाद 1995 में राज्य में पंचायतों और निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया। उस दौरान कई महिलाओं ने चुनाव लड़े, जीते और राजनीति में एंट्री की। आइए जानते हैं, आरक्षण मिलने के बाद राजस्थान की राजनीति में एंट्री करने 4 महिला नेताओं के बारे में, जिन्होंने प्रदेश की सियासत में खुद को स्थापित किया और अब वे विधानसभा-लोकसभा चुनाव में दावेदारी ठोकने को भी तैयार हैं... यह भी पढ़ें: Nari Shakti Vandan Adhiniyam दोनों सदनों में पास, जानें अब क्या होगा आगे, कब से महिलाओं को मिलने लगेंगे फायदे?

देश की पहली MBA सरपंच छवि राजावत

छवि राजस्थान के जयपुर के टोंक की रहने वाली हैं और देश की पहली ऐसी महिल सरपंच हैं, जो MBA कर चुकी हैं, लेकिन गांव का चुनाव लड़ने और अपने लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की जॉब छोड़ दी। उनकी छवि से एक्टर अमिताभ बच्चन इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने छवि को अपने शो कौन बनेगा करोड़पति में भी बुलाया था। छवि साल 2010 में गांव सोडा की सरंपच बनीं। 5 साल ऐसे काम किया कि 2015 में जनरल सीट होने के बावजूद लोगों ने उनसे चुनाव लड़ने की अपील की और वे जीत गईं। 2010 से 2020 तक 10 साल छवि सरपंच रहीं। वे साइड में हॉर्स राइडिंग एकेडमी भी चलाती हैं। वहीं छवि राजनीतिक परिवार से नहीं हैं। उनके दादा ब्रिगेडियर रघुवीर सिंह 1975 में रिटायर्ड हुए थे। परिवार समाजसेवा से जुड़ा है। जब टोंक में पंचायतों में महिलाओं के लिए सीट रिजर्व हुई तो नई पीढ़ी को आगे आने का मौका देते हुए गांव वालों ने छवि को चुनाव लड़वाने की इच्छा जताई। छवि ने परिवार के सहयोग से चुनाव लड़ा और वह राजनीति में आ गईं। यह भी पढ़ें: वोटर कार्ड बनवाने के लिए आधार नहीं अनिवार्य, जानें- सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने क्या कहा?

वार्ड पार्षद से, जिला प्रमुख, आज BJP की प्रदेश प्रवक्ता

राजस्थान के अजमेर की रहने वाली सरिता गैन ने कभी वार्ड पार्षद के तौर पर राजनीति की शुरुआत की, फिर जिला प्रमुख बनीं और आज भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता हैं। महिला आरक्षण बिल लागू होते ही विधानसभा और सांसद में दावेदारी ठोकने को तैयार हैं। सरिता साधारण परिवार से हैं, जिसका 2005 से पहले राजनीति से कनेक्शन ही नहीं था। सरिता जाट परिवार से हैं। वे 2005 में निकाय चुनाव में महिलाओं के सीटें रिजर्व होने पर राजनीति में आईं। सरिता ने अपने वार्ड से चुनाव लड़ा और जीत गईं। इसके बाद अजमेर में जिला प्रमुख की सीट OBC कोटे की महिलाओं के लिए रिजर्व हुई तो फायदा मिला। 2005 से 2010 तक जिला प्रमुख रहीं। 2014 में नसीराबाद से भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़ा। हालांकि चुनाव में हार हुई, लेकिन संगठन में महिला मोर्चा के प्रदेश मंत्री का पद मिला। प्रदेश की महामंत्री भी रहीं। अब भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश प्रवक्ता हैं। ऐसे में अगर रिजर्वेशन नहीं होता को सरिता आज इतनी बड़ी राजनेता नहीं होतीं। यह भी पढ़ें: ‘महिला लिव-इन पार्टनर पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती…’, दिल्ली हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, जानें पूरा मामला

BTECH-MTECH कर इंजीनियर बनी, नौकरी छोड़ सरंपच बनी

राजस्थान के उदयपुर जिले के छोटे से गांव शोभागपुरा की कविता जोशी भाजपा उदयपुर की महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष हैं। कविता बीटेक-एमटेक करके PHD कर चुकी हैं। इंजीनियर की नौकरी भी लग गई थी, लेकिन जनसेवा का भाव दिल में था। ऊपर से 2015 में गांव की पंचायत में महिला सीट रिजर्व हो गई। परिवार कर राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं, फिर भी परिवार ने सहयोग किया, सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत गईं। उन्होंने सिक्योर मोटर्स कंपनी की हार्डवेयर इंजीनियर की जॉब भी छोड़ दी। चुनाव प्रचार के समय वह गर्भवती थीं। बच्चे का जन्म मतदान से एक दिन पहले ही हुआ। कविता को सरपंच रहते हुए उनके जनसेवा संबंधी कामों के लिए पुणे में भारतीय छात्र संसद में मोस्ट लिटरेट यंग सरपंच का अवार्ड भी मिला था। उड़ीसा और केरल में कविता प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अब देश में महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद विधानसभा और संसद में भी दावेदारी ठोकने को तैयार हैं। यह भी पढ़ें: Dwarka Expressway-वे टनल तैयार, अब IGI एयरपोर्ट तक का घंटों का सफर 20 मिनट में होगा तय

फॉरेंसिंक साइंस में MSC वंदना विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहीं

राजस्थान के अजमेर की वंदना फोरेंसिक साइंस में करियर बनाना चाहती थीं। इसके लिए MSC भी किया, लेकिन 2015 में निकाय चुनाव में आरक्षण लागू होने से महिला सीट रिजर्व हुई। वार्ड 32 से चुनाव लड़ा और जीत गईं। उसस समय वे सिर्फ 23 साल की थीं और MDS यूनिवर्सिटी अजमेर से कोर्स कर रही थीं। जिला प्रमुख की SC कैटेगरी की महिला सीट भी आरक्षित थी। चुनाव लड़ा और निर्विरोध जिला प्रमुख चुनी गई। 2015 से 2020 तक जिला प्रमुख रही। आगे चलकर भाजपा की प्रदेश मंत्री बनी। अब LLB कर ली है। परिवार का राजनीति से कोई नाता नहीं है, लेकिन फिर भी उन्होंने सहयोग किया। रिजर्वेशन ने भी राजनीति में आकर जनसेवा का मौका दिया। अब वंदना अजमेर दक्षिण की सीट से विधानसभा चुनाव प्रत्याशी बनने की तैयारी कर रही हैं और अब तो महिला आरक्षण बिल पास हो गया है तो राजनीति में आगे के रास्ते भी खुल गए हैं।


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