Pulwama Attack Emotional Stories: घर का इकलौता बेटा... अकेला कमाने वाला जिसके कंधों पर हो पूरे परिवार का बोझ। फिर एक दिन अचानक से परिवार वालों को खबर मिले की उनके जिगर का टुकड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहा तो जरा अंदाजा लगाइए की उस पर क्या बीतेगी। बुढ़े माता-पिता पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट गया हो। पूरे देश में 14 फरवरी वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत में इस दिन को ब्लैक डे के रूप में मनाया जाने लगा है। ये वही दिन है जब पुलवामा अटैक हुआ था और हमारे 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। सभी की आंखें नम थी, अब हो भी क्यों न किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने पिता तो किसी ने भाई और पति। आज हम एक ऐसे ही जवान की मार्मिक कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुन आप रो पड़ेंगे। घर का इकलौता चिराग जो छोटी सी उम्र में शहीद हो गए। आज भी उनके परिवार वालों की आंखों के आंसू सूख नहीं पाए हैं।
इकलौता चिराग जो हुआ शहीद
जरा अंदाजा लगाइए की किसी के घर का इकलौता चिराग शहीद हो जाए तो उस पर क्या बीतती होगी। ऐसा ही कुछ हरियाणा में रोपड़ के रोली गांव के कुलविंदर सिंह के परिवार वालों के साथ हुआ था। कुलविंदर सिंह अपने घर के अकेले कमाने वाले थे और अकेले बेटे भी थे। शहीद होने से 4 साल पहले वो सेना में भर्ती हुए थे और 14 फरवरी साल 2019 को पुलवामा अटैक में शहीद हो गए। इस दुखद खबर की जानकारी जैसे ही परिवार वालों को मिली तो परिवार वालों पर तो जैसे बिजली ही गिर गई हो।
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11 महीने बाद होने वाली थी शादी
पूरी दुनिया में दो प्यार करने वाले वैलेंटाइन डे मना रहे थे। एक लड़की अपनी आने वाली जिंदगी के सुनहरे सपने सजा रही थी। क्योंकि सिर्फ 11 महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही ऐसे काले बादल घिरे की उसका होने वाला मंगेतर पुलवामा अटैक में शहीद हो गया। इस वीभत्स हादसे ने उस लड़की की पूरी जिंदगी बदल दी।
घर में बजनी थी शहनाई उठी अर्थी
कुलविंदर सिंह के घर में शहनाई बजने की तैयारियां चल रही थीं। घर के इकलौते चिराग की शादी होने वाली थी। हर तरफ खुशियों का माहौल था, जो 14 फरवरी 2019 को मातम में बदल गया। जहां से शहनाइयों की आवाजें आने थी वहां से रोने-धोने और चीख-पुकार की आवाजें आने लगीं। दिल चीर देने वाली इस घटना ने पूरे भारत देश को हिलाकर रख दिया। देखिए किस्मत भी कैसे खेल खेलती है, 10 फरवरी को यानी पुलवामा अटैक से सिर्फ 4 दिन पहले ही कुलविंदर अपनी छुट्टियां काटकर वापस ड्यूटी पर गए थे। किसने सोचा था कि अब उसकी अर्थी ही वापस आएगी।
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