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‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट के संकल्प को मिले मजबूती’, मुख्य सचिवों के सम्मेलन में बोले प्रधानमंत्री मोदी

Prime Minister Narendra Modi conference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शासन और सेवा वितरण में नई कार्यसंस्कृति विकसित करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि नवीनतम तकनीक के समुचित उपयोग से आम नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.

Prime Minister Narendra Modi conference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य सचिवों के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य मानव संसाधन के सशक्तिकरण, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सामूहिक प्रयासों और गरीबों के सशक्तिकरण से ही हासिल किया जा सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स के दौर से गुजर रहा है. भारत रिफॉर्म एक्सप्रेस पर सवार है और इस रफ्तार का सबसे बड़ा इंजन देश की युवा शक्ति और मजबूत जनसांख्यिकी है. इसी कारण सरकार का मुख्य फोकस युवाओं को सशक्त करने पर है.

कई अहम विषयों पर व्यापक चर्चा

उन्होंने हर क्षेत्र में गुणवत्ता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शासन, सेवा वितरण और विनिर्माण—तीनों में गुणवत्ता समय की मांग है. प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ को गुणवत्ता का पर्याय बनाना होगा और ‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’ के संकल्प को और मजबूती देनी होगी. सम्मेलन में कौशल विकास, उच्च शिक्षा, युवा सशक्तिकरण, खेल समेत कई अहम विषयों पर व्यापक चर्चा हुई.

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भारत में दुनिया का फूड बास्केट बनने की पूरी क्षमता

प्रधानमंत्री ने राज्यों से विनिर्माण को बढ़ावा देने, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मजबूत करने और सेवा क्षेत्र को सशक्त करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भारत को ग्लोबल सर्विसेज जायंट बनाने की दिशा में ठोस और समन्वित प्रयास किए जाने चाहिए. कृषि क्षेत्र पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया का फूड बास्केट बनने की पूरी क्षमता है. इसके लिए उच्च मूल्य कृषि, बागवानी, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करना होगा. इससे भारत एक प्रमुख खाद्य निर्यातक के रूप में उभर सकता है.

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टीम इंडिया की भावना स्पष्ट रूप से देखने को मिली

मुख्य सचिवों के सम्मेलन के दौरान हुई चर्चाओं में टीम इंडिया की भावना स्पष्ट रूप से देखने को मिली, जहां केंद्र और राज्य सरकारें विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के साझा संकल्प के साथ एक मंच पर नजर आईं. विचार-विमर्श में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि सहमति से तय किए गए फैसलों का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित हो, ताकि विकसित भारत की परिकल्पना आम नागरिकों के जीवन में ठोस और प्रत्यक्ष बदलाव के रूप में दिखाई दे.

प्रमुख चुनौतियों और संभावित समाधानों का व्यापक आकलन

सम्मेलन के सत्रों में मानव पूंजी विकास से जुड़े प्राथमिक क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति, प्रमुख चुनौतियों और संभावित समाधानों का व्यापक आकलन किया गया. साथ ही भोजन सत्रों के दौरान विरासत और पांडुलिपि संरक्षण एवं डिजिटाइजेशन तथा आयुष फॉर ऑल विषय पर केंद्रित चर्चा हुई, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में पारंपरिक ज्ञान के समावेश पर बल दिया गया.

विकास योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे

विचार-विमर्श में प्रभावी क्रियान्वयन, नागरिक-केंद्रित शासन और परिणामोन्मुखी कार्यप्रणाली की अहमियत को रेखांकित किया गया. इस बात पर सहमति बनी कि विकास योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचे, इसके लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करना, विभागों के बीच बेहतर समन्वय और डेटा आधारित निगरानी ढांचे को अपनाना आवश्यक है. प्रक्रियाओं के सरलीकरण, तकनीक के प्रभावी उपयोग और अंतिम पंक्ति तक लाभ पहुंचाने पर विशेष फोकस रखा गया.

उभरते और बहुआयामी विषयों पर गहन चर्चा

सम्मेलन में कई विशेष सत्रों का आयोजन किया गया, जिनमें उभरते और बहुआयामी विषयों पर गहन चर्चा हुई. इन सत्रों में राज्यों में डी-रेगुलेशन, शासन में तकनीक—इसके अवसर, जोखिम और समाधान, स्मार्ट सप्लाई चेन एवं मार्केट लिंकेज के लिए एग्रीस्टैक, वन स्टेट-वन वर्ल्ड क्लास टूरिस्ट डेस्टिनेशन, आत्मनिर्भर भारत एवं स्वदेशी, तथा वामपंथी उग्रवाद के बाद के भविष्य की योजनाओं पर मंथन किया गया.

चर्चाओं में सहकारी संघवाद को मजबूत करने, राज्यों की सफल पहलों को दोहराने और तय फैसलों के समयबद्ध क्रियान्वयन पर जोर दिया गया, ताकि विमर्श ठोस और मापनीय परिणामों में बदले. सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, वरिष्ठ अधिकारी, विषय विशेषज्ञ और केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे.


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