Breaking news in Hindi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तीन आपराधिक कानून संशोधन विधेयकों को रविवार को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही अब ये विधेयक कानून बन गए हैं। कौन से हैं तीन विधेयक, जिन्हें मिली मंजूरी?
राष्ट्रपति ने जिन विधेयकों को मंजूरी दी, उन्हें संसद के दोनों सदनों से पारित कराया गया है। इन विधेयकों में भारतीय नागरिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 शामिल हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेगा।
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बता दें कि तीनों आपराधिक सुधार विधेयक आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट का स्थान लेंगे। इन विधेयकों को लोकसभा से 20 दिसंबर और राज्यसभा से 21 दिसंबर को पारित किया गया था। इन विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया था।
मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होगी, जबकि आईपीसी में 511 धाराएं थीं। इसके अलावा विधेयक में कुल 20 नए अपराधों को जोड़ा गया, जिनमें से 33 के लिए जेल की सजा बढ़ा दी गई है। इसके साथ ही, 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है। वहीं, 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, 19 धाराओं को विधेयक से निरस्त या हटा दिया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। इससे पहले सीआरपीसी में 484 धाराएं थी। विधेयक में कुल 177 प्रावधानों को जोड़ा गया है। इसके साथ ही नौ धाराओं और 39 उप-धाराओं को भी शामिल किया गया है। मसौदा अधिनियम से 44 नए प्रवाधान और स्पष्टीकरण को जोड़ा गया है। विधेयक में कुल 14 धाराओं को निरस्त और हटाया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान होंगे। विधेयक में कुल 24 प्रावधानों को बदला गया है, जबकि दो नए प्रावधानों और छह उप-प्रावधानों को जोड़ा गया है। छह प्रावधानों को निरस्त या हटाया गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के साथ हत्या और राष्ट्र के खिलाफ अपराधों को प्रमुखता देते हुए तीनों विधेयकों को ध्वनि मत से पारित किया गया। संसद में वाईएसआरसीपी, बीजेडी, टीडीपी, एआईडीएमके, टीएमसी, यूपीपी (एल) नेताओं ने विधेयकों का समर्थन करते हुए बहस में भाग लिया था। हालांकि, जब विधेयक लोकसभा से पारित किया गया किया तो अधिकांश विपक्षा दलों के नेता बहस में शामिल नहीं हुए।
मानसून सत्र के दौरान पेश किए गए विधेयक
तीनों विधेयकों को पहली बार संसद के मानसून सत्र के दौरान अगस्त में पेश किया गया था। विधेयकों के पारित होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह एक नए युग की शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसे ऐतिहासिक बताया था।