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क्या No Confidence Motion की पिच पर नेहरू को ‘मात’ दे पाएंगे मोदी ?

नई दिल्ली: हंगामें और गहमागहमी के बीच संसद का मानसून सत्र अब अपने अंतिम पड़ाव है। 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र का 11 अगस्त को समापन होना है। इस बीच मणिपुर, नूह हिंसा समेत कई मुद्दों पर विपक्ष लगातार सरकार पर आक्रमक है। इसी कड़ी में विपक्ष की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव […]

नई दिल्ली: हंगामें और गहमागहमी के बीच संसद का मानसून सत्र अब अपने अंतिम पड़ाव है। 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र का 11 अगस्त को समापन होना है। इस बीच मणिपुर, नूह हिंसा समेत कई मुद्दों पर विपक्ष लगातार सरकार पर आक्रमक है। इसी कड़ी में विपक्ष की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर मंगलवार से संदन में चर्चा है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का आज तीसरा और अतिम दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज इस अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्षी पार्टियों के सवालों जवाब देंगे। इसके बाद फिर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। हालांकि संख्या बल के आधार पर सरकार को पूर्ण बहुमत है और कोई खतरा नहीं है। यह दूसरे मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है।

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अब तक नेहरू सरकार के नाम है ये रिकॉर्ड

संख्या बल के हिसाब से देखें तो अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर सरकार के हौसले बुलंद है। संसद में सरकार के समीकरण के हिसाब से सब कुछ हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 60 साल में पुराने के एक बड़े रिकॉर्ड को तोड़ सकते हैं। दरअसल 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) की सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। उस दौरान सरकार के पक्ष में अब तक के सबसे ज्यादा 347 मत पड़े थे। यह रिकॉर्ड अब भी कायम है और उम्मीद है कि पंडित नेहरू के समय में बने उस रिकॉर्ड को मौजूदा मोदी सरकार तोड़ सकती है।

मोदी सरकार तोड़ सकती है 60 साल पुराना रिकॉर्ड

आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पिछली बार 2018 में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लाए गए थे। इस दौरान सरकार के पक्ष में 330 मत पड़े थे, लेकिन इसबार के सियासी संख्या बल के समीकरण में सरकार का पक्ष और भी मजबूत दिख रहा है और इस ओर इशारा कर रहा है कि मौदी सरकार तकरीबन 60 साल पंडित नेहरू के कार्यकाल के दौरान बने उस रिकॉर्ड को भी तोड़ सकती है।

लोकसभा में मोदी सरकार के पक्ष में गणित

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवआई में एनसीए सरकार के पास मौजूदा समय लोकसभा में 333 सांसदों का समर्थन है। जिसमें बीजेपी- 301, शिवसेना (शिंदे)- 13, एलजेपी- 6, एनसीपी (अजीत पवार गुट)- 3, अपनादल- 2, ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन-1, अन्नाद्रमुक- 1, एमएनएफ- 1, एनपीपी- 1, एनपीएफ- 1, एलडीडीपी- 1, एसकेएम- 1 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।

वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी का सरकार को साथ

वहीं अनुमान है कि वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल भी अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का साथ दे सकती है। लोकसभा में वाईएसआर कांग्रेस 22 और बीजेडी के 12 सांसद है। इस तरह 333 सांसदों के अलावे सरकार को 34 और सांसदों का समर्थन मिल सकता है।

मोदी सरकार के पक्ष में पड़ सकते हैं 367 वोट

अगर ऐसा होता है तो अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के दौरान सरकार के पक्ष में 367 सांसदों का समर्थन होगा, जो 1963 में पंडित नेहरू 347 सांसदों के समर्थन से करीब 20 ज्यादा होगा। इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदा सरकार 60 साल पहले पंडित नेहरू के कार्यकाल में बने उस रिकॉर्ड को तोड़ सकती है।

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