Global Buddhist Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आग वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी का यहां संबोधन भी होगा। केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री जी.के. रेड्डी ने बताया कि पीएम मोदी 20 अप्रैल को नई दिल्ली में पहले वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
संस्कृति मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सहयोग से 20-21 अप्रैल को अशोक होटल में इस वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन (GBS) की मेजबानी करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव के तहत कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है और केन्द्र सरकार ने यह निर्णय किया है कि पहला अंतरराष्ट्रीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाएगा।
पहली बार विभिन्न देशों के प्रमुख बौद्ध भिक्षु आएंगे भारत
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पहली बार विभिन्न देशों के प्रमुख बौद्ध भिक्षु भारत आयेंगे और इस शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस शिखर सम्मेलन में बौद्ध दर्शन और विचार की मदद से समकालीन चुनौतियों से निपटने के बारे में चर्चा होगी। विश्व बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय "समकालीन चुनौतियों का जवाब: प्रथाओं के लिए दर्शन" है।
शिखर सम्मेलन, बौद्ध और सार्वभौमिक चिंताओं के संबंध में वैश्विक बौद्ध धम्म नेतृत्व और विद्वानों को एक साथ लाने का एक प्रयास है, ताकि इन मामलों को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए नीतिगत इनपुट प्रस्तुत किया जा सके। शिखर सम्मेलन में चर्चा इस बात का पता लगाएगी कि कैसे बुद्ध धम्म के मौलिक मूल्यों से समकालीन परिस्थितियों में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त किये जा सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि इस शिखर सम्मेलन में लगभग 30 देशों के प्रतिनिधि और विदेशों के लगभग 171 प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन में एनसीआर क्षेत्र के लगभग 200 व्यक्ति भी भाग लेंगे, जिनमें विदेशी दूतावासों के 30 से अधिक राजदूत शामिल हैं।
चार विषयों पर होगी चर्चा
सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधि आज के प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और इसके समाधानों की खोज करेंगे।
चर्चाएं इन चार विषयों के तहत होंगी:
1. बुद्ध धम्म और शांति
2. बुद्ध धम्म: पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता
3. नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण
4. बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, जीवंत विरासत और बुद्ध अवशेष: दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों का एक सुदृढ़ आधार।