Pervez Musharraf Death: मैंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी लेकिन… कहने वाले मुर्शरफ नहीं रहे, जानें पूरा सफर
Pervez Musharraf Death: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया। मुशर्रफ का लंबे समय से दुबई के अस्पताल में इलाज चल रहा था। मई 2016 में देशद्रोह के आरोप के बाद वे पाकिस्तान छोड़कर दुबई चले गए थे।
जानिए उनके सेनाध्यक्ष से लेकर तानाशाह बनने तक का पूरा सफर
1965 और 1971 के युद्ध में लिया भाग
परवेज मुशर्रफ ने 21 साल की उम्र में आर्मी जाॅइन की थी। उन्होंने 1965 में हुए (Pervez Musharraf Death) भारत पाकिस्तान युद्ध में भी हिस्सा लिया था। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार मिली थी। लेकिन इसके बावजूद उन्हें पाक सरकार की ओर से वीरता पदक से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने अपने जीवन पर एक किताब भी लिखी। इस किताब में करगिल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी लेकिन पीएम नवाज शरीफ की वजह वह ऐसा करने में असफल हुए।
उन्होंने 1971 के युद्ध में भी पाकिस्तान की तरफ से हिस्सा लिया था।
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साल 1999 में शुरू की गई थी बस सेवा
दिल्ली-लाहौर बस सेवा भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 19 फरवरी 1999 में शुरू की गई थी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में दिल्ली से लाहौर तक बस सर्विस (सदा-ए सरहद) शुरू की गई। इस सेवा का उद्घाटन करते हुए पहले बस यात्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान गए थे।
कारगिल युद्ध के दौरान भी डीटीसी की दिल्ली-लाहौर बस सर्विस जारी रही थी। हालाकि वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के बाद इसे रोक दिया गया था। इसके बाद 16 जुलाई 2003 में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के बाद इसे दोबारा शुरू कर दिया गया था।
2005 में भारत दौरे पर वाजपेयी से भी मिले
मुर्शरफ 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रहे। राष्ट्रपति रहते मुशर्रफ (Pervez Musharraf Death) 2005 में भारत दौरे पर आए। इस दौरान उन्होंने पीएम मनमोहन सिंह से कहा था कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी से मिलना है।
लेकिन सरकार की तरफ कोशिश नहीं होने पर वें स्वंय ही उनसे मिलने चल दिए। पाकिस्तान वापसी के समय उन्होंने अपना काफिला 6 कृष्ण मेनन मार्ग पर रूकवा दिया था। वाजपेयी से मिलने पर उन्होंने वाजपेयी से कहा कि सर अगर आप पीएम होते तो आज दोनों देशों के बीच रिश्ते कुछ और होते।
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1999 में तख्तापलट कर बनें तानाशाह
पाकिस्तान में सेना हमेशा से ही सरकार हावी रही है। 1970 के दशक से शुरु हुआ यह कारवां आज भी बदस्तूर जारी है। 1998 में तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया लेकिन एक साल बाद 1999 में तख्तापलट करते हुए पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। सत्ता में रहते हुए बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सलूक किया। पाकिस्तान की सेना ने सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी।
नवाज ने चलवाया था राजद्रोह का केस
साल 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का केस चला। नवाज शरीफ सरकार ने उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर बैन लगा दिया था। लेकिन उसके बावजूद खराब सेहत की वजह से उन्होंने 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया था।
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