राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को दिल्ली में स्वामी विज्ञानानंद द्वारा लिखित पुस्तक 'द हिंदू मैनिफेस्टो' का विमोचन किया। उन्होंने पुस्तक की विशेषताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि यह मैनिफेस्टो 'कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो' जैसा नहीं है। भागवत ने कहा कि कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो के बाद दुनिया ने क्या भोगा, यह सभी जानते हैं।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने पड़ोसी देश विशेषकर पाकिस्तान के संदर्भ में कहा कि हम कभी अपने पड़ोसियों का अपमान या हानि नहीं करते, लेकिन जब कोई आक्रामक होता है तो राजा का धर्म प्रजा की रक्षा करना होता है। राजा को अपना कर्तव्य निभाना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज विश्व को एक नए मार्ग की आवश्यकता है। पिछले 2 हजार सालों से मानवता ने कई प्रयोग किए, परंतु वे पूरी तरह सफल नहीं हुए। सुख बढ़ा है तो दुख भी बढ़ा है। नई दवाइयां बनीं तो नई बीमारियां भी आईं। ऐसे में अब भारत का कर्तव्य है कि वह विश्व को नया रास्ता दिखाए।
यह भी पढे़ं : पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों का ‘खुफिया ठिकाना’, सामने आया Video
भारत ने कभी किसी पर कब्जा नहीं किया : भागवत
उन्होंने कहा कि आम आदमी अपने हिसाब से शास्त्रों की व्याख्या करता है और यह सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में होता रहा है। मोहन भागवत ने इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि मिस्र से साइबेरिया तक भारतीय का प्रभाव था, लेकिन हमने कभी किसी पर कब्जा नहीं किया। कुछ लोगों को यह गलती लग सकती है, लेकिन जब तक हम इस नीति पर रहे, हम मजबूत रहे।
अहिंसा पर क्या बोले आरएसएस चीफ?
मोहन भागवत ने जातिगत भेदभाव के सवाल पर कहा कि अभी हाल ही में उडुपी में सभी साधु-संतों ने औपचारिक घोषणा की है कि अब छुआछूत जैसा कुछ नहीं है। हमारे शास्त्रों की सही व्याख्या समाज के सामने आनी चाहिए। उन्होंने अहिंसा पर स्पष्ट किया कि अहिंसा भारतीय स्वभाव है, लेकिन अहिंसा का उद्देश्य दूसरों को बदलना है। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग बदल जाएंगे, लेकिन जो नहीं बदलते, उनके लिए उचित कदम उठाना पड़ता है।
गुंडागर्दी करने वालों को सबक सिखाना जरूरी : मोहन भागवत
आरएसएस चीफ ने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब सुधार संभव नहीं होता तो कठोर निर्णय लेना पड़ता है। गुंडागर्दी करने वालों को सबक सिखाना जरूरी है। उन्होंने धर्म को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमने धर्म को सिर्फ कर्म कांड और खानपान तक सीमित कर दिया है। धर्म का सही अर्थ समझना आज की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति का रास्ता उसके लिए उचित होता है और हमें दूसरों के रास्तों का भी सम्मान करना चाहिए। समापन में भागवत ने जोर दिया कि आज हिंदू समाज को अपने धर्म की गहरी समझ विकसित करनी चाहिए, तभी समाज और देश सही दिशा में आगे बढ़ सकेगा।
यह भी पढे़ं : ‘…छोड़ेंगे नहीं, ये नया भारत है’, सीएम योगी की पाकिस्तान को खुली चुनौती