22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। इस हमले में कई परिवार एक ही झटके में उजड़ गए। कश्मीर में एक बार फिर से अशांति का माहौल बन गया है। धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर में धीरे-धीरे हालात बदल रहे थे, लेकिन इस हमले से फिर से वहां अशांति फैल गई है। इस मामले पर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे (रिटायर्ड) ने अपने विचार रखे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ शक्तियां ऐसी हैं, जो चाहती ही नहीं कि यहां पर शांति कायम रहे। उन्होंने हमले पर कहा कि 'मुझे पूरा विश्वास है कि इस घटना के पीछे असीम मुनीर का हाथ है।' जानिए उन्होंने इस पर और क्या कुछ कहा।
शांति की नींव को हिलाकर रख दिया
डीपी पांडे ने हमले पर बात करते हुए कहा कि 'कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दशकों से अशांति और हिंसा की छाया रही है। हाल के सालों में जब वहां सब नॉर्मल होने लगा, तो कुछ शक्तियां ऐसी निकल आईं, जो कहती हैं कि शांति तुम्हारे लिए नहीं है। जितना तुम शांति मनाओगे, उतना हम मारेंगे।' उन्होंने आगे कहा कि 'यह हमला एक ऐसा मेसेज है, जो न केवल डराता है, बल्कि शांति की नींव को हिला कर देता है।
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'सरकार कुछ नहीं कर पाई'
डीपी पांडे आगे कहते हैं कि 5-6 महीने बाद कोई इस पर बोलेगा कि 'लोगों को मार दिया और सरकार कुछ नहीं कर पाई।' उन्होंने कहा कि कुछ लोग सैन्य कार्रवाई को राजनीतिक फायदा के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि 'इस सोच से यह सवाल उठता है, क्या हम शांति को स्थायी बनाना चाहते हैं या उसे एक प्रचार का औजार बना रहे हैं?
बिहार पर लगाते इतना पैसा
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कश्मीर के विकास के लिए खर्च पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर आज जो है, उसके लिए सरकार ने बहुत खर्च किया है। वहां के लोगों के लिए एजुकेशन और हेल्थ फैसिलिटी दी गईं। उन्होंने कहा कि इतना पैसा अगर बिहार पर लगाया जाता, तो आज वो स्टेट कहां से कहां पहुंच गया होता।
कैसे निकलेगा समाधान?
जब उनसे पूछा गया कि 'क्या हमें हमला करना चाहिए, सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए? तो इस पर उन्होंने कहा कि 'इस तरह की बातें केवल आक्रोश नहीं, बल्कि एक मानसिकता को दर्शाती हैं।' यह मानसिकता मानती है कि हथियार ही समाधान हैं, जबकि इतिहास ने दिखाया है कि बातचीत और समझदारी से भी हल निकाले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शांति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है, इसी ताकत को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि शांति तभी स्थायी होगी, जब लोगों का भरोसा मजबूत किया जाए, न कि उन्हें धमकाकर चुप किया जाए।
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