वन नेशन वन इलेक्शन (ONOE) को लेकर देश में काफी समय से चर्चा चल रही है। इस प्रस्ताव को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया है। जेपीसी का अध्यक्ष भाजपा सांसद पीपी चौधरी को बनाया गया है। पीपी चौधरी वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति बनाने के लिए राज्यों के दौरा कर रहे हैं। इसी बीच पीपी चौधरी ने बुधवार को कहा कि अभी चुनावी खर्च जीडीपी का 1.6% माना जा रहा है, लेकिन अगर चुनावों में बैंकों के बंद रहने और आर्थिक अनिश्चितता से होने वाले प्रभावों को जोड़ा तो यह आंकड़ा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर चुनाव कराने की लागत से हमारी अर्थव्यवस्था को 4.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
क्या कहा पीपी चौधरी ने?
वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 'अलग-अलग समय पर चुनाव कराने की लागत से जीडीपी में 1.6% का अंतर आता है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को 4.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता है। हमारे देश में करीब 4 करोड़ 85 लाख प्रवासी मजदूर हैं, जिन्हें चुनाव के लिए बार-बार वापस आना पड़ता है, जिससे उत्पादन बाधित होता है। यह सीधा नुकसान है। हमने देश पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष प्रभाव का भी आकलन नहीं किया है, जैसे कि हमारे बच्चों की शिक्षा कैसे प्रभावित होती है, क्योंकि शिक्षकों को अक्सर बार-बार चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात किया जाता है।' उन्होंने कहा कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर देखें तो ONOE राष्ट्र हित में है। हम पार्टी के बजाय राष्ट्रहित को पहले रखकर काम कर रहे हैं।'
2029 में ONOE लागू किया गया तो कितना खर्च आएगा?
इस समय लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने पर खर्च कितना आएगा इस पर भी बात हो रही है। ET की रिपोर्ट के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन 2029 में कराने के लिए चुनाव आयोग को 1 करोड़ ईवीएम, 34 लाख VVPAT मशीन, 48 लाख बैलेटिंग यूनिट और 35 लाख कंट्रोल यूनिट की जरूरत होगी, जिसमें कुल खर्च 5,300 करोड़ रुपये से ज्यादा आएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने इसे लेकर इनरटनल असिसमेंट किया है, जिसमें एक साथ चुनाव कराने में 5,300 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। फिलहाल वन नेशन वन इलेक्शन बिल ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी (JPC) के पास है, जिस पर सभी पार्टियों के सुझाव लिए जा रहे हैं।
ECI के सामने ये है बड़ी चुनौती
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के पास अभी 30 लाख से ज्यादा बैलेटिंग यूनिट्स (BU), 22 लाख कंट्रोल यूनिट्स (CU) और करीब 24 लाख VVPAT हैं। BU और CU मिलकर EVM बनाते हैं, लेकिन 2013-14 की कई मशीनें 2029 तक 15 साल पुरानी होने की वजह से बाहर हो जाएंगी, जिससे मशीनों की कमी हो जाएगी। इसलिए 2029 में एक साथ चुनाव कराने के लिए करीब 20 लाख BUs, 13.6 लाख CUs और 10 लाख से ज्यादा VVPATs की जरूरत हो सकती है।