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अब दुष्प्रचार के लिए मिलेगी सजा! जानें क्या है नया डिजिटल कानून, क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

New Digital Law Punishment For Propaganda: अब किसी के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान, जनता के बीच झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए सजा हो सकती है या फिर जुर्माना भी लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार नए डिजिटल कानून पर विचार कर रही है। मामले के जानकार अधिकारियों के मुताबिक, नए कानून में […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Sep 29, 2023 07:50
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New Digital Law Punishment For Propaganda: अब किसी के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान, जनता के बीच झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए सजा हो सकती है या फिर जुर्माना भी लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार नए डिजिटल कानून पर विचार कर रही है। मामले के जानकार अधिकारियों के मुताबिक, नए कानून में दुष्प्रचार अभियान (Disinformation Campaigns), जनता में झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाने के प्रयासों के लिए  दंड को शामिल किया जा सकता है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 को बदलने के लिए डिजिटल इंडिया बिल पर काम कर रही है। अधिकारियों के मुताबिक, टेक्नोलॉजी से संबंधित कानूनों और नियमों में बदलाव के बाद नए डिजिटल कानून की जरूरत महसूस हुई है।

प्रस्तावित ड्राफ्ट के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो घृणा, शत्रुता को बढ़ावा देने वाली या डायरेक्टर या फिर इनडायरेक्ट रूप से किसी परिणामों को प्रभावित करने वाली कार्रवाई में शामिल होता है, दुष्प्रचार के लिए दंड के लिए उत्तरदायी होगा। हालांकि, मसौदे में ये नहीं कहा गया है कि सजा क्या होगी, कितनी होगी?

सजा क्या होगी, कितनी होगी? इसके लिए ड्राफ्ट को और बेहतर बनाया जाएगा

जानकारी के मुताबिक, सजा क्या होगी, कितनी होगी, ये सुनिश्चित करने के लिए मसौदे को और बेहतर बनाया जाएगा और केंद्रीय कैबिनेट की ओर से इसे पेश करने से पहले सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किया जाएगा जो मंजूरी के लिए संसद में जाएगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दुष्प्रचार अभियानों को रोकने के लिए वित्तीय दंड लगाना, प्रस्तावों में से एक है।

नए डिजिटल कानून की जरूरत क्यों पड़ी?

22 मई को विधेयक पर हितधारकों के साथ परामर्श के दौरान, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि भारत में आज 830 मिलियन इंटरनेट यूजर्स हैं और यह दुनिया का सबसे बड़ा ‘डिजिटली कनेक्टेड लोकतंत्र’ है।

उन्होंने कहा था कि इंटरनेट काफी हद तक 23 साल पुराने आईटी अधिनियम द्वारा शासित है, जिसमें अन्य चुनौतियों के अलावा उपयोगकर्ता अधिकारों, विश्वास और सुरक्षा के प्रावधानों का अभाव है और यह डॉक्सिंग, साइबर स्टॉकिंग और ऑनलाइन ट्रोलिंग जैसे साइबर अपराधों से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित नहीं है।

दुष्प्रचार बढ़ती हुई चिंता का विषय रहा है, खासकर तब से जब.. कहा गया था कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और यूनाइटेड किंगडम के यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए जनमत संग्रह आंशिक रूप से दुष्प्रचार अभियानों से प्रभावित हो सकता है।

व्यक्ति पर अकेले या संयुक्त रूप से… कैसे लागू होगा दुष्प्रचार का प्रावधान

प्रस्तावित मसौदे के अनुसार, दुष्प्रचार के प्रावधान किसी भी व्यक्ति पर लागू होंगे, जो अकेले या संयुक्त रूप से किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘भ्रामक डिजिटल’ पब्लिश या शेयर करता है। या ऐसे कार्यों में शामिल है जो व्यक्तियों के खिलाफ घृणा, उत्पीड़न, शत्रुता या शत्रुता को बढ़ावा देता है, या फिर इसका समर्थन करता है।

जनता के बीच दहशत, अव्यवस्था या हिंसा पैदा करने … या चुनावी अधिकारों के प्रयोग पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनुचित प्रभाव डालने, क्षति, गंभीर व्यवधान, महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे में पर्याप्त हस्तक्षेप करने वाले भी इस प्रावधान के दायरे में आ सकते हैं। कहा जा रहा है कि मसौदा कानून में इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए एक नया नियामक स्थापित करने का भी प्रावधान है, जिसे डिजिटल इंडिया अथॉरिटी कहा जाएगा।

First published on: Sep 29, 2023 07:50 AM

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