नेपाल में चल रहे जेन जेड विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति बेहद खराब है। हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच पीएम केपी शर्मा ओली ने रिजाइन दे दिया। इसी बीच वहां कई भारतीय फंस कर रह गए हैं और कुछ अलग-अलग रास्तों की मदद से वापस भारत आ चुके हैं। उन्होंने भारत आकर चैन की सांस ली है और अब तक नेपाल में जो कुछ हुआ है, उस पर अपना हाल बताया है। कई भारतीय नागरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी में भारत-नेपाल बॉर्डर पार कर भारत लौट आए।
स्थिति नियंत्रण से बाहर
असम लौटे एक यात्री ने बताया कि वहां स्थिति कंट्रोल से बाहर है और हड़ताल 10-15 दिनों तक जारी रहेगी। असम एक शख्स ने नेपाल से लौटने के बाद कहा कि अच्छा लग रहा है। वहां से वापस आकर ऐसा लग रहा है कि जान वापस आ गई।
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यूपी के महाराजगंज में भारत-नेपाल बॉर्डर पर फंसे भारतीयों को एसएसबी की मदद से वापस लाया जा रहा है। नेपाली लोगों को मेडिकल इमरजेंसी या अन्य किसी भी सिचुएशन में पूरी जांच के बाद ही भारत में एंट्री की परमिशन दी जा रही है।
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नेपाल में फंसे मुंबई के भारतीय नागरिक मयूर पाटिल ने बताया कि हम भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन और नेपाल के दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आए थे। हम 8 सितंबर को यहां आए थे। पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन किए थे, लेकिन अब हम विरोध प्रदर्शनों के कारण फंस गए हैं। इस बात की जानकारी भारतीय दूतावास को फोन करके दी है और उन्होंने हमें कहा कि जो जहां भी हैं, वहीं सुरक्षित रहें।
नेपाल में हिंसा का कारण
दरअसल, सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब समेत 26 प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाने का फैसला था, जिसमें गलत जानकारी देने की बात को लेकर चिंता जताई थी। लोगों ने इसे अपनी आजादी पर हमले के रूप में देखा। जनता का गुस्सा तब और ज्यादा बढ़ा, जब सोशल मीडिया पर नेपो बेबीज ट्रेंड ने राजनेताओं के बच्चों की लाइफस्टाइल को दिखाया और आम लोगों के बीच आर्थिक असमानता को पेश किया।
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