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मनरेगा की जगह नए बिल की तैयारी में सरकार, जानिए- कैसा होगा ये पुराने वाले से अलग

केंद्र इस नए बिल को जल्द लोकसभा में पेश कर सकती है. बिल की कॉपी सांसदों को बांटी गई हैं. वहीं, BJP सांसदों के लिए व्हिप भी जारी किया गया है.

संसद में महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA) को खत्म करके नया बिल पेश किए जाने की उम्मीद है. इस नए बिल का नाम विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (VB-G Ram G) होगा. इसके लिए लोकसभा सांसदों को बिल की कॉपी बांटी गई है. इस बिल के तहत इस योजना का खर्च केंद्र और राज्य सरकार को साझा करना होगा, जिसकी वजह से राज्यों के खजाने पर इसका वित्तीय बोझ बढ़ सकता है. सरकार का अनुमान है कि इस योजना पर वार्षिक खर्च करीब 1.51 लाख करोड़ रुपए होगा, जिसमें केंद्र सरकार का हिस्सा करीब 95,692 करोड़ रुपए रहेगा. NDA सरकार के विकसित भारत - रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) VB-G Ram G विधेयक में ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार के दिन एक वित्तीय वर्ष में 100 बढ़ाकर 125 दिन कर दिया जाएगा.

विधेयक में यह प्रावधान भी है कि इसमें रोजगार गारंटी को बीच में रोका भी जा सकता है. एक वित्तीय वर्ष में कुल साठ दिन की अवधि के लिए इसे रोका जा सकता है. यह खेतों में बुवाई और कटाई के पीक सीजन में फायदेमंद साबित हो सकता है. अब जानिए, नए बिल में क्या-क्या बदलेगा?

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रोजगार के दिनों की संख्या

नए बिल के तहत एक वित्तीय वर्ष में हर ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलेगी. वहीं, मौजूदा MGNREGA के तहत 100 दिनों के रोजगार मिलता है. हालांकि, मनरेगा के तहत विशेष रूप से अनुरोध करने पर सरकार की ओर से 50 दिनों का अतिरिक्त रोजगार मिल जाता है. जैसे जंगलों में रहने वाला हर अनुसूचित जनजाति परिवार 150 दिनों का काम ले सकता है. लेकिन उसके लिए शर्त है कि उस परिवार के पास वन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत दिए गए भूमि अधिकारों को छोड़कर कोई अन्य निजी संपत्ति न हो. इसके अलावा जिन क्षेत्रों में सूखा या प्राकृतिक आपदा आई हुई है, वहां भी 50 दिन का ज्यादा काम मिल जाता है.

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केंद्र और राज्य मिलकर करेंगे खर्च

नए विधेयक में एक बड़ा बदलाव इसकी फंडिंग से जुड़ा है. मनरेगा के तहत जहां स्कीम का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, वहीं नई स्कीम में राज्यों को भी खर्च में हिस्सा देना होगा. इसके तहत पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) में स्कीम का 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी खर्च राज्य सरकार उठाएंगी. वहीं, दूसरे राज्यों में 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी खर्च राज्य सरकार उठाएंगी. हालांकि, जिन केंद्र शासित राज्यों में विधानसभा नहीं हैं, वहां का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

बीच में रोक सकते हैं

VB-G Ram G में खेती के पीक सीजन में रोजगार गारंटी को बीच में रोका जा सकता है. विधेयक के मुताबिक, राज्य सरकारें एक वित्तीय वर्ष में 60 दिनों के लिए रोजगार गारंटी को रोक सकती हैं, लेकिन उस अवधि के लिए पहले बताना होगा. इसमें बुवाई और कटाई के पीक खेती सीजन शामिल हैं. इस दौरान इस बिल के तहत काम शुरू नहीं किए जाएंगे. ऐसे में खेती के पीक सीजन में मजदूर नहीं मिलने की समस्या भी दूर हो सकती है.

हर सप्ताह भुगतान

नए बिल में मनरेगा के विपरीत हर सप्ताह पेमेंट का भुगतान किया जाएगा. मनरेगा में 15 दिन में मजदूरी का भुगतान होता था. मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक आधार पर या काम पूरा होने के अधिकतम 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा. यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता देने का भी प्रावधान रखा गया है.


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