NCERT Syllabus Change News:एनसीईआरटी की किताबों में सिलेबस बदलाव को लेकर भगवाकरण के आरोप लगे थे। लेकिन एनसीईआरटी के डायरेक्टर दिनेश सकलानी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। सकलानी के अनुसार बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गुजरात दंगों के बारे में संदर्भों को संशोधित इसलिए किया गया है, क्योंकि विद्यार्थियों में अवसाद और हिंसा की भावना आ सकती है। पाठ्य पुस्तकों में हर साल संशोधन किया जाता है। इसे किसी भी सूरत में शोर-शराबे का विषय नहीं बनाना चाहिए।
हमें आखिर पुस्तकों में दंगों के बारे में पढ़ाने की जरूरत क्या है? हमारा उद्देश्य बच्चों को सकारात्मक बनाना है, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक। ऐसी पढ़ाई की जरूरत ही क्या है? जिससे बच्चों में आक्रामकता घर कर जाए, समाज में नफरत फैले। छोटे बच्चे दंगों के बारे में पढ़ेंगे तो बड़े होने पर क्या सोचेंगे? बदलाव के बारे में जो हंगामा मच रहा है, वह अप्रासंगिक है, नहीं होना चाहिए।
22 जनवरी को हुई थी राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
नया विवाद कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की किताब को लेकर है। जिसमें बाबरी मस्जिद का उल्लेख नहीं है। इसे विवादित ढांचा बताया गया है, जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। अयोध्या के विवाद को 4 के बजाय 2 पेज में समेटा गया है। जो ताजा विवरण है, उसके अनुसार मस्जिद को तीन गुंबद वाली संरचना दर्शाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवरण दिखाई दे रहा है। बता दें कि राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पीएम मोदी ने इसी साल 22 जनवरी को की थी। ऐसे समय में सकलानी की टिप्पणियों को अहम माना जा रहा है।
सकलानी की ओर से कहा गया है कि हमारी शिक्षा में हिंसा और घृणा के लिए जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों को जिक्र भी किताबों में नहीं है। इस पर हंगामा क्यों नहीं किया जाता है? वहीं, पाठ्य पुस्तकों से भाजपा की सोमनाथ से रथ यात्रा, कारसेवकों की मस्जिद को गिराने में भूमिका, भाजपा की अयोध्या की घटनाओं पर खेद और भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन आदि तथ्यों को किताबों से हटाया गया है।
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सकलानी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर बनाने के हक में फैसला दिया है, तो इसे पाठ्य पुस्तकों के सिलेबस में शामिल क्यों नहीं करना चाहिए? क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में पता नहीं होना चाहिए? सकलानी ने कहा कि मुझे भगवाकरण के आरोप गलत लगते हैं। अगर कुछ अप्रासंगिक संदर्भ बच्चे पढ़ रहे हैं तो इनमें बदलाव करना गलत नहीं है। अगर हम भारत की ज्ञान प्रणाली छात्रों को बता रहे हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।