NCERT 12th Class Book Syllabus Controversy: देश की सबसे बड़ी एजुकेशन बाॅडी NCERT ने 12वीं पाॅलिटिकल साइंस की किताब से बाबरी मस्जिद, भगवान राम, रथ यात्रा, कारसेवा जैसी जानकारी हटा ली है। इसके साथ ही एनसीईआरटी ने बाबरी मस्जिद नाम की जगह तीन गुंबद वाला ढांचा और अयोध्या विवाद का नाम बदलकर अयोध्या विषय भी कर दिया है। वहीं जानकारी घटाकर 2 पेज की कर दी है। जबकि पहले ये 4 पेज की थी। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने एनसीईआरटी की आलोचना की है।
एनसीईआरटी की किताबों में बदलाव पर कांगेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने NEET 2024 में ग्रेस मार्क्स की गड़बड़ी के लिए NCERT को दोषी ठहराया है। यह NTA की अपनी घोर विफलताओं से ध्यान हटाने जैसा है। हालांकि यह सच है कि NCERT अब एक पेशेवर संस्था नहीं रही। यह 2014 से RSS से संबद्ध संस्था के रूप में काम कर रही है। अभी-अभी पता चला है कि कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक धर्मनिरपेक्षता के विचार की आलोचना करती है और साथ ही इस संबंध में राजनीतिक दलों की नीतियों की भी आलोचना करती है।
NCERT देश के संविधान पर हमला कर रही है
NCERT का उद्देश्य पाठ्यपुस्तकें बनाना है, न कि राजनीतिक पर्चे और प्रचार। NCERT हमारे देश के संविधान पर हमला कर रही है, जिसकी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता स्पष्ट रूप से भारतीय गणतंत्र के आधारभूत स्तंभ के रूप में दिखाई देती है। सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों में स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता को संविधान के मूल ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा माना गया है। NCERT को खुद को याद दिलाने की ज़रूरत है कि यह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद है, न कि नागपुर या नरेंद्र शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद। इसकी सभी पाठ्यपुस्तकें अब संदिग्ध गुणवत्ता की हैं, जो स्कूल में मुझे आकार देने वाली पुस्तकों से बहुत अलग हैं।
2014 के बाद से चौथा संशोधन
2014 के बाद से अब तक एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक में यह चौथा संशोधन है। सबसे पहला संशोधन 2017 में किया गया था। इसमें एनसीईआरटी हाल की घटनाओं को शामिल करने का हवाला दिया था। दूसरा संशोधन 2018 में किया गया था। इसमें एनसीईआरटी ने तर्क दिया कि सिलेबस के बोझ को कम करने के लिए संशोधन किए गए हैं। 2021 में कोविड के कारण संशोधन किया गया था।
बता दें कि एनसीईआरटी की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र 16वीं शताब्दी की मस्जिद के तौर पर किया गया था। इसे प्रथम मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बनवाया था। नई बुक में मस्जिद को तीन गुंबद वाला स्ट्रक्चर नाम दिया गया है। इसके साथ ही लिखा गया है कि 1528 में श्री राम के जन्मस्थान पर बनाया गया था। इसके अंदर और बाहर में हिंदू मंदिर के अवशेष स्पष्ट रूप से नजर आ रहे थे।
नई किताब से ये तीन चीजें हटाई गई
1. एनसीईआरटी की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद सीएम कल्याण सिंह को कोर्ट ने कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल होने के कारण अवमानना का दोषी ठहराया था और एक दिन के सांकेतिक कारावास की सजा सुनाई थी। अब नई किताब में इस हिस्से को हटा दिया गया है।
2. पुरानी किताब में फैजाबाद जिला कोर्ट का आदेश जिसमें मस्जिद के ताले खोले जाने की जानकारी थी। इसके अलावा सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा, स्वयंसेवकों द्वारा की गई कारसेवा, मस्जिद विध्वंस और हिंसा का जिक्र भी था। अब नई किताब में इन सब चीजों को हटा दिया गया है।
3. पुरानी किताब में अखबारों में छपे आर्टिकल की फोटोज थीं। इनमें 7 दिसंबर 1992 का लेख भी शामिल था। इसके अलावा पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के लेख समेत कई कतरनें हटा दी गई।
वहीं नई किताब में अयोध्या और उससे जुड़े विषय हटाए जाने पर एनसीईआरटी के डायरेक्टर दिनेश प्रसाद ने कहा कि हमें स्कूल के बच्चों को दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम देश के बच्चों को पाॅजिटिव नागरिक बनाना चाहते हैं।
ये भी पढ़ेंः ‘दंगों के बारे में पढ़ाने की जरूरत नहीं, यह हिंसक…’ सिलेबस में बदलाव पर बोले NCERT डायरेक्टर
ये भी पढ़ेंः BJP-RSS के संबंधों में PM की किताब पर चर्चा क्यों? CM रहते मोदी ने लिखी थी ‘ज्योतिपुंज’