लोकसभा में सरकार के तरफ से बताया गया है कि देश में नक्सलवाद का दायरा अब बेहद सीमित रह गया है और केंद्र सरकार की बहु-स्तरीय रणनीति के चलते हिंसा में पिछले एक दशक में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज हुई है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि नक्सल-प्रभावित जिलों की संख्या 2014 के 126 से घटकर 2025 में सिर्फ 11 रह गई है, जिनमें से केवल तीन जिलों को ‘सबसे अधिक प्रभावित’ श्रेणी में रखा गया है।
सरकार के अनुसार, नक्सलवाद से जुड़ी हिंसा में 2010 की तुलना में 2025 में 89% की कमी आई है। 2010 में 1936 हिंसक घटनाएं हुई थीं, जबकि 2025 में यह संख्या 218 रह गई। इसी अवधि में नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौतों में भी 91% की कमी दर्ज की गई- 2010 में 1005 मौतें हुई थीं, जो 2025 में घटकर 93 रह गईं।
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गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 2015 में अपनाई गई राष्ट्रीय नीति एवं कार्ययोजना ने सुरक्षा, विकास और स्थानीय समुदायों के अधिकारों को केंद्र में रखकर एक समग्र रणनीति तैयार की। सरकार का दावा है कि आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों में सड़क, दूरसंचार, बैंकिंग, स्वास्थ्य और शिक्षा ढाँचे के लगातार विस्तार ने नक्सलवाद की जड़ को कमजोर किया है।
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सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 14,978 किमी सड़कें, 9,050 मोबाइल टावर, 46 आईटीआई, 49 स्किल सेंटर और 179 एकलव्य विद्यालय स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा 6025 डाकघर, 1804 बैंक शाखाएँ और 1321 एटीएम खोलकर वित्तीय पहुंच बढ़ाई गई है। स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस के तहत 3,848.49 करोड़ रुपये इन जिलों को दिए गए हैं।
सुरक्षा मोर्चे पर, केंद्र ने राज्य पुलिस बलों को आधुनिक उपकरण, प्रशिक्षण, हथियार और विशेष बलों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सहायता दी है। पिछले दशक में 656 सुदृढ़ पुलिस थाने और छह वर्षों में 377 सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए। साथ ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती, हेलिकॉप्टर सहायता और खुफिया समन्वय को बढ़ाया गया है।
नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्र और राज्यों ने आकर्षक पुनर्वास नीति लागू की है। आत्मसमर्पण करने वाले शीर्ष कैडर को 5 लाख रुपये, अन्य कैडरों को 2.5 लाख रुपये, हथियार जमा करने पर अतिरिक्त प्रोत्साहन और तीन वर्ष तक 10,000 रुपये मासिक वजीफा दिया जाता है। मंत्रालय के अनुसार 2014 से 2025 के बीच 9588 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि 16,336 को गिरफ्तार किया गया।
केंद्र सरकार ने दोहराया कि वह 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद-मुक्त बनाने के अपने लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है। हालांकि, जिन क्षेत्रों में हाल के वर्षों में नक्सलवाद कमजोर हुआ है, वहां किसी भी संभावित पुनरुत्थान को रोकने के लिए 27 जिलों को ‘लेगेसी और थ्रस्ट’ श्रेणी में रखा गया है।
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