Modi 3.0: कोर टीम के पुराने चेहरों से मिले नए संकेत, BJP के मंत्रालयों के मायने भी समझें
Narendra Modi Core Team Unchanged: नई केंद्रीय कैबिनेट की सोमवार को हुई पहली बैठक के बाद मंत्रियों के बीच मंत्रालयों का बंटवारा कर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कैबिनेट में इस बार 71 नेता हैं। खास बात यह है कि मंत्रालयों के बंटवारे में मोदी की कोर टीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय उन्हीं के पास हैं जिनके पास पिछली सरकार में थे। सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) में भी स्थिति वैसी ही है। चूंकि भाजपा बहुमत नहीं पा सकी, इसलिए एनडीए के कई सहयोगी दलों के नेता भी कैबिनेट में हैं। लेकिन, बड़े मंत्रालय भाजपा ने अपने पास ही रखे हैं। भाजपा के इस कदम को सहयोगी दलों को इस संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है कि सरकार भले ही गठबंधन की है लेकिन सिक्का भाजपा का ही चलेगा।
मंत्रालयों के आवंटन में पिछली बार की तरह ही इस बार भी गृह मंत्रालय अमित शाह के पास, वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण के पास, रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह के पास और विदेश मंत्रालय एस जयशंकर के पास है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में फैसला लेने वाली सर्वोच्च समिति सीसीएस में प्रधानमंत्री कार्यालय के अलावा यही चार मंत्रालय आते हैं। समिति की बैठकों में इनके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कैबिनेट सचिव और रक्षा सचिव भी शामिल होते हैं। इसे सबसे महत्वपूर्ण कैबिनेट समिति कहा जाता है। इसमें कोई बदलाव न करके मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर अपना प्रभाव बरकरार रखने की कोशिश की है। इसके अलावा कार्मिक, लोकशिकायत व पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग समेत वो सभी विभाग अपने पास रखे हैं जो किसी को नहीं दिए गए हैं।
क्या-क्या काम करती है सीसीएस?
सीसीएस की जिम्मेदारियों में रक्षा संबंधी मुद्दों को निपटाना, कानून व्यवस्था व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों को संबोधित करना और देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले अंतरराष्ट्रीय समझौतों से संबंधित मामलों पर नजर रखना आदि आते हैं। उल्लेखनीय है कि यह बेहद महत्वपूर्ण समिति देश की सुरक्षा के लिए अहम माने जाने वाले राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करती है और उनका समाधान करती है। इसके साथ ही देश के सिक्योरिटी सिस्टम की जरूरतों का मूल्यांकन और इसे मजबूत करने के लिए जरूरी बदलाव करने का काम भी इसी समिति का होता है। सीसीएस डिफेंस प्रोडक्शन विभाग, डिफेंस रिसर्च और विकास विभाग को लेकर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के पूंजीगत खर्च से जुड़े सभी मामलों पर विचार करती है। परमाणु ऊर्जा से जुड़े मसलों पर भी चर्चा का काम सीसीएस करती है और उनका समाधान करती है।
बड़े मंत्रालयों पर भाजपा का कब्जा
कोर मंत्रालयों के अलावा कई बड़े विभाग भी भाजपा ने अपने पास ही रखे हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय नितिन गडकरी के पास है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय जेपी नड्डा को दे दिया गया है जो अब तक मनसुख मंडाविया के पास था। मनसुख मंडाविया को इस बार श्रम व रोजगार मंत्रालय दिया गया है। अश्विनी वैष्णव के पास रेल मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और आईटी मंत्रालय है। शिवराज सिंह चौहान को कृषि मंत्रालय दिया गया है। पीयूष गोयल के पास वाणिज्य मंत्रालय है तो शिक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान को दी गई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को ऊर्जा मंत्रालय के साथ शहरी विकास मंत्रालय भी दिया गया है। मंत्रालयों के बंटवारे का एनालिसिस यह बताता है कि किस तरह भाजपा ने बाकी दलों को कैबिनेट में शामिल तो कर लिया है लेकिन अहम जिम्मेदारियां अपने पास ही रखी हैं।
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